चंडीगढ़। मधुमेह और उच्च रक्तचाप दो साइलेंट किलर हैं। हृदय रोग (सीवीडी ) के लिए दोनों बहुत ही खतरनाक हैं। हाई ब्लडप्रेशर और डायबिटीज के जोखिम को कम करने के लिए एक साथ कम करने की सलाह जरूरत है। मधुमेह दिवस पर पीजीआई के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के डॉ. संजय भडाडा ने प्रोफेसर के पैनल चर्चा के दौरान उक्त तथ्य रखे।
डॉ. भडाडा ने न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के निष्कर्षों को सामने रखते हुए कहा कि इनके अनुसार टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस के सामान्य रक्तचाप वाले व्यक्तियों की तुलना में उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों में विकसित होने की लगभग 2.5 गुना अधिक संभावना है।
इससे डायबिटीज मेलिटस और हाई ब्लडप्रेशर के बीच एक सहयोगी तालमेल और बायडायरेक्शनल रोगजनक संबंधों का संकेत मिलता है। डॉ. भडाडा ने इस बात पर भी जोर दिया कि डायबिटीज का प्रसार 2010 में सिर्फ 2 प्रतिशत था जो 2020 में बढ़कर 8-10 प्रतिशत हो गया है। उन्होंने कहा कि वास्तव में, चंडीगढ़ भारत का ’सिटी ऑफ डायबिटीज’ बन गया है।
पीजीआई के डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ डॉ. सोनू गोयल, प्रोफेसर ने कहा कि “यह चिंताजनक है कि सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के अनुसार, डायबिटीज मेलिटस से प्रभावित 75 प्रतिशत भारतीय बालिग हाई ब्लडप्रेशर का भी शिकार हैं।
उन्होंने आगे कहा, “हमें उन खाद्य पदार्थों को पहचाने के महत्व को समझने की जरूरत है जिनमें फैट्स, नमक और चीनी (एचएफएसएस) की मा़त्रा काफी अधिक है। भारत सरकार को भी एचएफएसएस खाद्य पदार्थों की आसान पहचान को बढ़ावा देने के लिए फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (एफओपीएल) नीति को प्रभावी और तेजी से लागू करना चाहिए।
उपचार को भी बनाता है जटिल
एक अन्य पैनलिस्ट कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. श्रीनिवास रेड्डी, प्रोफेसर ने बताया कि टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस (टी 2डी) के रोगियों में हाई ब्लड प्रेशर की रीडिंग एक आम खोज है। डायबिटीज व्यक्तियों में हाई ब्लडप्रेशर का बढ़ना न केवल उपचार रणनीति को जटिल बनाता है और हेल्थकेयर की लागत को भी बढ़ाता है।
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