अदालत का फैसला : डीएनए जांच के बाद आखिरकार माता-पिता को मिल गया उनका लाल



तिरूवनंतपुरम। अनुपमा एस चंद्रन बुधवार की दोपहर अपनी गोदी में अपने बेटे को लिए अदालत परिसर से बाहर आई। एक बारिश आसमान से बरस रही थी और एक अनुपमा की आंखों से । इस क्षण के लिए अनुपमा ने न केवल सालभर लंबा इंतजार किया था बल्कि हफ्तों तक कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी।

अपने बच्चे और अपने साथी अजीत के साथ अनुपमा को अब जाकर सुकून मिला है।

यहां की एक परिवार अदालत ने आज दोपहर आदेश दिया कि बच्चे को उसके जैविक माता-पिता को सौंप दिया जाए, जिसके बाद अनुपमा को अपने बच्चे का संरक्षण का अधिकार मिल गया, जिसे उन्होंने पिछली बार तब देखा था जब वह महज तीन दिन का नवजात शिशु था।

बच्चा, अनुपमा और अजीत की राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी में डीएनए जांच के एक दिन बाद यह घटनाक्रम हुआ। जांच में बच्चे के माता-पिता अनुपमा और अजीत के होने की पुष्टि हुई।

अदालत परिसर से बाहर आने पर परिवार कार से अनुपमा के प्रदर्शन स्थल पर गया। वह और अजीत यहां केरल राज्य बाल कल्याण परिषद के सामने पिछले कुछ दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे।

अनुपमा (22) ने कहा, ‘‘मुझे मेरा बच्चा मिल गया। वह कार में है। मैं बहुत खुश हूं। ’’

महिला ने आरोप लगाया था कि उसके बच्चे को उसके (बच्चे के) नाना जबरन उसे लेकर चल गये, जो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एक स्थानीय नेता हैं। इसके बाद राजनीतिक विवाद छिड़ गया, जिस पर सरकार ने घटना की विभागीय जांच का आदेश दिया था।

अनुपमा ने अपने माता पिता पर आरोप लगाया था कि वे एक साल पहले बच्चे के जन्म के शीघ्र बाद उसे जबरन ले कर चले गये। महिला ने आरोप लगाया कि उसने कई बार पुलिस के पास शिकायत की, लेकिन वह उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज करने के प्रति अनिच्छुक रही।

हालांकि, यहां पेरूरक्कडा पुलिस ने एक मामला दर्ज किया और छह लोगों -उसके माता पिता, बहन, जीजा और उसके पिता के दो दोस्तों-को नामजद किया।

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