आत्मनिर्भर भारत की दीवाली : स्वदेशी कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की मान्यता




नई दिल्ली। भारत में विकसित कोरोना रोधी टीके कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ‘आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध’ (ईयूएल) करने की मंजूरी दे दी। डब्ल्यूएचओ के तकनीकी परामर्शदाता समूह ने इसकी सिफारिश की थी। 

डब्ल्यूएचओ ने ट्वीट किया, ‘कोवैक्सीन (भारत बायोटेक द्वारा विकसित) टीके को आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इस तरह कोविड-19 की रोकथाम के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त टीकों की संख्या में इजाफा हुआ है।’ डब्ल्यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह ने इसके लिए भारत को बधाई दी। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने डब्ल्यूएचओ का आभार जताते हुए ट्वीट किया, ‘यह समर्थ नेतृत्व की निशानी है, यह मोदी जी के संकल्प की कहानी है, यह देशवासियों के विश्वास की जुबानी है, यह आत्मनिर्भर भारत की दीवाली है।’

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उसके तकनीकी परामर्शदाता समूह के विशेषज्ञ पूरी तरह आश्वस्त हैं कि कोवैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ रक्षा करने संबंधी मानकों पर खरी उतरती है और इस टीके के लाभ इसके जोखिमों से कहीं अधिक हैं, अत: इसका उपयोग किया जा सकता है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि एजेंसी के ‘स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्युनाइजेशन’ (एसएजीई) ने भी कोवैक्सीन की समीक्षा की और 2 खुराक में इस टीके के इस्तेमाल की अनुशंसा की है। डब्ल्यूएचओ ने हालांकि यह भी कहा कि कोवैक्सीन से गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के जो आंकड़े उपलब्ध हैं, वे गर्भावस्था में टीके के प्रभावी या सुरक्षित होने के लिहाज से अपर्याप्त हैं। 

कोवैक्सीन, दोनों खुराक लेने के बाद किसी भी गंभीरता वाले कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ 78 फीसदी प्रभावी पाई गई है। यह कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए अत्यंत सुलभ है, क्योंकि इसकी भंडारण जरूरतें काफी आसान हैं।

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