अहमदाबाद। एक कुटुंब अदालत का आदेश पलटते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायिक आदेश के बावजूद एक महिला को उसके पति के साथ रहने और दांपत्य अधिकार स्थापित करने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि पहली पत्नी अपने पति के साथ रहने से इस आधार पर इनकार कर सकती है कि 'मुस्लिम कानून बहुविवाह की अनुमति देता है, लेकिन इसे कभी बढ़ावा नहीं दिया है।'
हाईकोर्ट ने अपने एक हालिया आदेश में कहा, 'भारत में मुस्लिम कानून ने बहुविवाह को मजबूरी में सहन करने वाली संस्था के रूप में माना है, लेकिन प्रोत्साहित नहीं किया है, और पति को सभी परिस्थितियों में पत्नी को किसी अन्य महिला को अपनी साथी के तौर पर रखने के लिये मजबूर करने का कोई मौलिक अधिकार प्रदान नहीं किया है।'
पीठ ने गुजरात के बनासकांठा जिले की एक कुटुंब अदालत के जुलाई 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली एक महिला की याचिका पर यह टिप्पणी की।
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