नई दिल्ली। दिल्ली से सटे नोएडा में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका के बीच जिले में सोमवार से सीरो सर्वे (सीरोलाजिकल) किया जाएगा। इससे कोविड-19 रोग के प्रति उत्पन्न प्रतिरोधक क्षमता का आकलन किया जागा।
जिला पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अमित कुमार ने कहा कि सीरो सर्वे के तहत क्षेत्र में कोरोना वायरस का फैलाव कितना हुआ है और कितने लोगों में एंटीबाडी बनी है। जितनी अधिक एंटीबाडी होगी संक्रमण की चेन बनने से रोका जा सकेगा। इसे लेकर सीरो सर्वे को महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसे में अब एक बार फिर से सीरो सर्वे किया जाएगा। सर्वे में 100 सैंपल एकत्र किए जाएंगे।
इनके लिए जाएंगे नमूने
पुरुष, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चे के नमूने लिए जाएंगे। यह सैंपल अलग-अलग क्षेत्रों मेंं रहने वाले लोगों से एकत्र किए जाएंगे। शासन से निर्देश मिलने के बाद सर्वे को लेकर जिले में 10 टीमें बनाई गई है। टीम में लैब टेक्नीशियन, एएनएम, एमओ व स्थानीय फ्रंट लाइन वर्कर्स की मदद ली जाएगी। गौरतलब है कि जिले में यह तीसरी बार सीरो सर्वे किया जा रहा है। इससे पहले सितंबर-2020, जून-2021 को किया गया था। इस वर्ष जून में हुए सर्वे में 66 फीसद लोगों में एंटीबाडी पाई गई थी।
क्या होता है सीरो सर्वे
सीरो सर्वे में यह जांच की जाती है कि कितनी आबादी में संक्रमण के खिलाफ एंटीबाडी बन चुकी है। जब भी हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया अटैक करता है तो शरीर उसके खिलाफ एंटीबाडी बनाता है। यह एंटीबाडी विशेष प्रकार का प्रोटीन होती हैं और वायरस या बैक्टीरिया और किसी भी संक्रमण से शरीर को बचाती हैं। अगर किसी इंसान के शरीर में इसकी एंटीबाडी मिलती हैं तो इसका मतलब ये है कि उस व्यक्ति को अब कोरोना संक्रमण का खतरा बेहद कम है। सीरो सर्वे से पता चलता है कि कितनी जनसंख्या वायरस से संक्रमित हो चुकी है। सर्वे में व्यक्ति का ब्लड लेकर उससे सेल्स और सीरम को अलग किया जाता है। एंटीबाडी सीरम में ही पाई जाती है। इस सीरम में कोरोना वायरस के खिलाफ बनी एंटीबाडी की जांच की जाती है।
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