ऑनलाइन सुनवाई में वकीलों के मोबाइल फोन से होने वाले व्यवधान पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़, कहा-मोबाइल से सुनवाई पर लगाना पड़ सकता प्रतिबंध!


नई दिल्ली। चीफ जस्टिस (सीजेआई) एनवी रमण की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने सोमवार को कई वकीलों द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग के कारण डिजिटल सुनवाई के दौरान बार-बार व्यवधान पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि उसे मोबाइल के माध्यम से सुनवाई में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाना पड़ सकता है। 

चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ इस बात से नाखुश थी कि सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं की तरफ से ऑडियो या विजुअल अथवा दोनों में व्यवधान के कारण सोमवार को सूचीबद्ध 10 मामलों में सुनवाई स्थगित करनी पड़ी।

पीठ ने एक मामले में टिप्पणी की, ‘वकील अपने मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए पेश हो रहे हैं और दिखाई नहीं दे रहे हैं। हमें इस मोबाइल के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना पड़ सकता है। श्रीमान वकील, आप अब सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहे हैं और नियमित रूप से पेश हो रहे हैं। क्या आप बहस करने के लिए डेस्कटॉप (कंप्यूटर) नहीं रख सकते हैं?” 

एक अन्य मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने वकील के दोषपूर्ण इंटरनेट कनेक्शन का संज्ञान लिया और कहा, “हमारे पास इस तरह मामलों को सुनने की कोई ऊर्जा नहीं है। कृपया एक ऐसी प्रणाली तैयार करें जिससे हम आपको सुन सकें। ऐसे ही 10 मामले खत्म हो गए हैं और हम चिल्ला रहे हैं।”

शीर्ष अदालत मार्च 2020 से महामारी के कारण वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई कर रही है और बदलती महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर शर्तों में ढिलाई या सख्त करती रही है। 

शीर्ष अदालत ने 2 जनवरी को देश में अचानक ही कोविड-19 के मामले बढ़ने का संज्ञान लेते हुए सात जनवरी से सारे मामलों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करने का निर्णय लिया था। ये पीठ इस समय न्यायाधीशों के आवासीय कार्यालयों में बैठ रही हैं।

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