नई दिल्ली। देश के 73वें गणतंत्र दिवस पर बुधवार को यहां आयोजित परेड के दौरान ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए 75 विमानों का भव्य ‘फ्लाइपास्ट’ आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा। परेड के दौरान राजपथ पर देश की सैन्य ताकत और जीवंत सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया गया।
बहरहाल, कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण इस साल गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन उतने व्यापक स्तर पर नहीं किया गया, जितना कि सामान्य समय में किया जाता रहा है।
भारतीय सेना ने गणतंत्र दिवस परेड में सेंचुरियन टैंक, पीटी-76 टैंक, 75/24 पैक हॉवित्जर और ओटी-62 टोपाज बख्तरबंद वाहन जैसे प्रमुख हथियारों और साजो-सामान का प्रदर्शन किया, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को हराने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर जीत का जश्न मनाने के लिए 2021 में स्वर्णिम विजय वर्ष मनाया था। इसी युद्ध के बाद बांग्लादेश का सृजन हुआ था।
सेना की टुकड़ियों ने एक पीटी-76 टैंक, एक सेंचुरियन टैंक, दो एमबीटी अर्जुन एमके-आई टैंक, एक ओटी-62 टोपाज बख्तररबंद, एक बीएमपी-आई पैदल टुकड़ी वाले वाहन और दो बीएमपी-द्वितीय पैदल टुकड़ी वाले वाहनों को प्रदर्शित किया।
समारोह की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय समर स्मारक पर देश के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। वर्ष 1971 और इसके पहले और बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों के समस्त भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय समर स्मारक पर अंकित किए गए हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ राष्ट्रीय समर स्मारक पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी का तीनों सेनाओं (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) के प्रमुखों ने स्वागत किया। स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री ने वहां डिजिटल आगंतुक पुस्तिका पर अपना संदेश भी लिखा।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड की टोपी पहन रखी थी, जिस पर ब्रह्मकमल अंकित था। ब्रह्मकमल उत्तराखंड का राजकीय पुष्प है। इस दौरान उन्हें मणिपुर का गमछा भी धारण कर रखा था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री जब भी केदारनाथ धाम जाते हैं, वह पूजा के लिए ब्रह्मकमल का ही उपयोग करते हैं।
इस साल परेड में कोई मुख्य अतिथि नहीं था। बहरहाल, परेड में स्वच्छाग्रह, अग्रिम मोर्चे के कर्मी, ऑटो रिक्शा चालक, निर्माण कार्य में लगे श्रमिक और भव्य झांकी तैयार करने वाले मजदूर विशिष्ट अतिथियों के रूप में शामिल हुए।
परेड इस साल पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे आरंभ हुई। यह अन्य वर्षों में होने वाली परेड से आधे घंटे देरी से शुरू की गई, ताकि बेहतर दृश्यता सुनिश्चित हो सके।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजपथ पर आयोजित परेड की सलामी ली। परेड की कमान परेड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल विजय कुमार मिश्रा ने संभाली और मेजर जनरल आलोक काकर परेड के सेकेंड-इन-कमांड रहे। राजपथ पर राष्ट्रीय ध्वज फहराए जाने के बाद 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान की धुन बजाई गयी। परंपरा के अनुसार 21 तोपों की सलामी 871 फील्ड रेजिमेंट की ‘सेरेमोनियल बैटरी’ द्वारा दी गई, जिसकी कमान लेफ्टिनेंट कर्नल जितेंद्र सिंह मेहता ने संभाली।
भारतीय सेना की 61 ‘कैवेलरी रेजीमेंट’ के घुड़सवार सैनिकों का दल गणतंत्र दिवस परेड की पहली मार्चिंग टुकड़ी रहा। इस दल का नेतृत्व मेजर मृत्युंजय सिंह चौहान ने किया। यह वर्तमान में दुनिया में सक्रिय एकमात्र घुड़सवार इकाई है। 61 ‘कैवेलरी रेजीमेंट’ का गठन 1953 में सभी राज्यों की अश्व इकाइयों को मिलाकर किया गया था।
परेड में नेशनल कैडेट कोर ने ‘शहीदों को शत शत नमन’ कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान राजपथ पर 10 विशाल ‘स्क्राल’ कैनवास पर स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की बहादुरी को चित्रकारी के जरिये प्रदर्शित किया गया। हर स्क्रॉल की लंबाई 75 मीटर और ऊंचाई 15 फुट है। इसे रक्षा और संस्कृति मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘कला कुंभ’ के दौरान तैयार किया गया था। इन्हें देशभर के 600 से अधिक कलाकारों ने चंडीगढ़ और भुवनेश्वर में दो चरणों में तैयार किया। इनके जरिए स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की वीरता को दर्शाया गया है। ये स्क्रॉल स्वदेशी और समकालीन दृश्य कला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं।
सुरक्षा बलों की टुकड़ियों के बाद विभिन्न राज्यों की झांकियों के जरिए स्वतंत्रता संग्राम से लेकर जैवविविधता तक भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाया गया।
विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों ने भी झांकियां निकालीं और जल जीवन मिशन जैसी अहम पहलों को रेखांकित किया। केंद्रीय लोक निर्माण विकास की झांकी के जरिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार लोक अदालत को दर्शाने वाली एक झांकी निकाली गई। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने झांकी का विषय ‘‘एक मुट्ठी आसमान: लोक अदालत’’ रखा था। झांकी के आगे के हिस्से में ‘न्याय सबके लिए’ का विषय दिखाया है। साथ ही हाथ की मुद्रा को प्रदर्शित किया गया, जो निडरता, गारंटी और सुरक्षा का संकेत है।
पंजाब की झांकी में शहीदों और स्वतंत्रता संग्राम को दर्शाया गया, जबकि डाक विभाग की झांकी में भारतीय डाक की मजबूत पहुंच और आधुनिक रूप को प्रदर्शित किया। साथ ही इसमें लैंगिक समानता की दिशा में उठाए गए कदमों को प्रदर्शित करने के लिए केवल महिलाओं द्वारा संचालित डाकघरों को भी दर्शाया गया।
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