बालाघाट : पातालतोड़ खनन की ब्लास्टिंग से लोगों के घरों में दरार, किसानों के बोर खराब


किरनापुर। तहसील मुख्यालय किरनापुर से 5 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत बेनेगांव की पहाड़ी पर 5 से 6 स्टोन क्रेशर लगे हैं, वहीँ खदानों में जब जबरदस्त ब्लास्टिंग होती है तो पूरा गांव थर्रा जाता है एवं मकानों में दरारे आने लगी हैं। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम बेनेगांव से पहाड़ी की दूरी 2 किलोमीटर है किंतु जबरदस्त ब्लास्टिंग होने से अब हमारे कच्चे मकान में दरार आने लगी है। वहीँ पक्के मकानों में भी दरार आ गई है। साथ ही पहाड़ी के किनारे लगे समस्त किसानों की खेती में किसानों द्वारा कराए गए बोर खराब हो गये हैं। चूंकि ब्लास्टिंग होने से बोर के नीचे के पत्थर टूट कर मोटर सहित अंदर चले जाते हैं, इससे मिट्टी धंस जाने से मोटर अब पूरी तरह खराब हो चुकी है, जिसे निकालने में भी बड़ी तकलीफ हो रही है, और वह निकल नहीं पा रही है। रबी की फसल फसल लगी है 5 एकड़ में अब पानी कैसे चलाएं यह हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है।

इनका कहना है 

पहाड़ी से 500 मीटर की दूरी पर मेरी खेती है जिसमें 5 एकड़ में रबी की फसल लगाया हूं मेरे कुआं में बोर था जो कि पहाड़ी पर जबरदस्त ब्लास्टिंग होने से मोटर खराब हो चुकी है । और बोर पूरी तरह मिट्टी मलमा में धंस गया है।
- डालचंद दशहरे, किसान बेली गांव 

मेरी 5 एकड़ खेती है ।जिसमें मैं मोटर से पानी चला कर फसल उगाता हूं । पहाड़ी से 500 मीटर दूरी पर मेरी खेती लगी है, जबरदस्त ब्लास्टिंग होने से मेरी बोर में लगी मोटर टूटकर अंदर समा गई। जिसके कारण खेती में पानी चलाना बड़ी चिंता का विषय है।
- संतोष दशहरे, किसान बेली गांव 

मेरा मकान कच्चा है मकान से पहाड़ी की दूरी 2 किलोमीटर है किंतु जबरदस्त ब्लास्टिंग होने से उसके कच्चे मकानों में दरार आ गई है और मकान में लगी सीमेंट की चादर भी टूट कर गिर गई है। 
- अंजी लाल, ग्रामीण 

मेरा पक्का मकान है किंतु ब्लास्टिंग पावर वाली होने से स्लिप में तीन चार जगह दरार आ गई है, जिसे मरम्मत कर मैंने सुधारा है। ग्रामीणों ने इस प्रकार की शिकायत मीडिया से कर वस्तु स्थिति से अवगत कराया है। किंतु प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है। पहाड़ी पर खदानों में जबरदस्त उत्खनन हो रहा है। पहाड़ी में जमीन की सतह से नीचे 50 फीट तक गहराई में खुदाई का काम चल रहा है। लगता है कि मानो कुछ दिनों बाद लिफ्ट से अंदर भी जाकर खुदाई की जा सकती है। इस प्रकार की पत्थरों की तुड़ाई खदानों के मालिकों द्वारा की जा रही है।
- गौरव दशहरे, ग्रामीण 

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