झूठ का पहाड़ खड़ा हो सकता है गरीब का घर नहीं

आवास योजना की सूची में नाम आने के बावजूद मकान निर्माण को तरस रहा  हितग्राही 
हितग्राही अशोक गजभिये की महल जैसी झोपड़ी !

लांजी। सरकारी योजनाओं में अड़ंगेबाजी से झूठ का पहाड़ खड़ा हो सकता है पर गरीब की घर नहीं। ऐसे ही एक मामले में तहसील मुख्यालय अंतर्गत आने वाले ग्राम कुम्हारीकला में आवास योजना की सूची में उपर नाम होने के बाद भी मकान निर्माण के लिए हितग्राही को पंचायत के चक्कर काट रहा है, हितग्राही ने बताया कि 34 वें  नंबर पर नाम होने के बाद भी पंचायत द्वारा उसके बाद के हितग्राहियों के मकान बन गए लेकिन बहाने बनाकर हितग्राही अशोक गजभिये को वापस भेज दिया जाता है और इसी कारण अब तक झोपड़ी में रहने को मजबूर हितग्राही का दर्द कोई समझ नहीं पा रहा है और आर्थिक मजबूरी ऐसी कि हितग्राही ने अपनी बात जिला सीईओ से लेकर बालाघाट कलेक्टर तक पहुंचा दी लेकिन इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। हितग्राही ने बताया कि पंचायत द्वारा बार-बार यह कहकर मना कर दिया जाता है कि उसने इंदिरा आवास योजना का लाभ लिया था।

सिस्टम का पंचनामा
अशोक गजभिये ने बताया कि उसके द्वारा शिकायत करने के बाद जनपद पंचायत से रामटेक्कर आए और उसके बाद तांडेकर आए दोनों ने ही पंचनामा बनाया कि कच्चा मकान है, तांडेकर ने तो बिना देखे ही कच्चे मकान का पंचनामा बनाकर मेरे हस्ताक्षर लेते हुए खानापूर्ति कर दी, ऐसा हितग्राही ने बताया। अशोक गजभिये का कहना है कि हर बार यही आश्वासन मिलता है कि 1-2 महीने में काम हो जाएगा लेकिन काम होता नहीं है। वहीं उसके बाद जिनके नाम है उन लोगों का मकान स्वीकृत हो चुका है और तो और उनके खातों में राशि भी आ चुकी है लेकिन उसे आखिर किस बात की सजा दी जा रही है यह उसकी समझ से परे है।

यह बोले समन्वयक अधिकारी
वहीं इस मामले के बारे में पूछने पर जनपद पंचायत लांजी के पंचायत समन्वयक अधिकारी आर.के. तांडेकर ने बताया कि कुम्हारी कला के ऐसे हितग्राही जो इंदिरा आवास योजना का लाभ ले चुके थे उनमें से तीन लोगों के खाते में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 25 हजार रूपयों की किश्त डाली गई थी, साडरा बैंक से वह राशि वापस लेकर उन हितग्राहियों को अपात्र घोषित कर दिया गया है, उसी प्रकार शिकायतकर्ता अशोक गजभिये ने भी इंदिरा आवास योजना के तहत 25 हजार का लाभ लिया था इसलिए उन्हे भी प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा।

ऐसे अनेक मामले हैं जिनमें अपात्र लोगों को भी पात्र बनाकर फर्जी तरीके से आवास योजना का लाभ दिया गया। सवाल तो यह भी है कि जब 1 लाख रूपए से सभामंच बनता है तो 25 हजार रूपयों में हितग्राही अच्छा मकान कैसे बना सकता है, वहीं इंदिरा आवास के तहत अगर हितग्राही को लाभ मिला तो वह मकान कहां है कहीं ऐसा तो नहीं कि हितग्राही के नाम से पैसा डकार लिया गया और हितग्राही को झोपड़ी में रहने छोड़ दिया गया।

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