मध्य प्रदेश हाईकोर्ट : एमपीपीएससी 2019 परीक्षा में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर रोक


भोपाल। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की प्रधान पीठ ने राज्य लोक सेवा आयोग (पीएससी) को सिविल सेवा परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने से रोकने का आदेश दिया है। अदालत ने सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2019 के परिणाम तय करते समय ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के एमपीपीएससी के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका के जवाब में आयोग और सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को भी नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ता निहारिका तिवारी राज्य के बैतूल जिले की रहने वाली हैं, वह उसी परीक्षा में शामिल हैं, जिसका परिणाम 31 दिसंबर, 2021 को घोषित किया गया था। जीएडी द्वारा 14 अगस्त, 2021 को जारी अधिसूचना के अनुसार एमपीपीएससी ने इंटरव्यू के लिए योग्य उम्मीदवारों की सूची घोषित करते हुए ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया था।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि यदि 27 प्रतिशत ओबीसी कोटा दिया जाता है, तो यह एमपी (एससी और एसटी शामिल) में कुल आरक्षण को बढ़ाकर 63 प्रतिशत कर देता है, जो कानून का उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता आदित्य सांघी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने इंद्रा साहनी मामले में अपने ऐतिहासिक फैसले में जाति-आधारित आरक्षण को अधिकतम 50 प्रतिशत तक सीमित कर दिया था, जो कि ओबीसी कोटा को 27 प्रतिशत तक बढ़ाने पर उल्लंघन होता है। उन्होंने कहा कि संविधान पीठ के आदेश के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण को रद्द कर दिया।

सांघी ने यह भी बताया कि मप्र में लागू किए गए 27 प्रतिशत ओबीसी कोटा के खिलाफ अदालत में कई याचिकाएं लंबित हैं और अदालत ने इस अधिनियम पर रोक लगा दी है, लेकिन एमपीपीएससी ने 2019 के मुख्य परीक्षा परिणाम को 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण के साथ घोषित किया है।

मामले में प्रारंभिक सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश आर.वी. मलीमठ और न्यायमूर्ति एम.एस. भट्टी ने अपने अंतरिम आदेश में एमपीपीएससी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने से रोक दिया और मामले में प्रतिवादी एमपीपीएससी और सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी किया। अगली सुनवाई 21 फरवरी को है।

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