जम्मू। कश्मीर में इस साल सर्दियों में आए 10 लाख के करीब प्रवासी पक्षी जल्द अपने घरों को लौटने लगे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि पिछले दो सप्ताह से कश्मीर में ग्लोबल वार्मिंग अपना असर दिखा रही है जिस कारण दिन का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया है।
क्यों प्रवासी पक्षी हो रही है वापस लौटने को मजबूर
कश्मीर के वेटलैंड की जिम्मेदारी संभालने वाली वाइल्ड लाइफ वार्डन इफशान दीवान कहती थीं कि कश्मीर में मौसम तेजी से बदल रहा है। पहली बार है कि गर्मी अपना रंग दिखाने लगी है जिस कारण दिन के तामपान में हुई बढ़ौतरी इन प्रवासी पक्षियों को मजबूर कर रही है कि वे जल्द से जल्द अपने घरों को लौट जाएं। हालांकि वे इसके प्रति कोई कमेंट नहीं करती थीं कि मौसम में बदलाव का कारण ग्लोबल वर्मिंग है या फिर कुछ और।
पिछले साल के मुकाबले इस साल कम दिखे प्रवासी पक्षी
इतना जरूर था कि वे इसके प्रति खुशी जतातीं थीं कि इस बार दस लाख के करीब प्रवासी पक्षी सिर्फ कश्मीर के वेटलेंडों में विचरण करते पाए गए। हालांकि उनके अनुसार, आधिकारिक गिनती के आंकड़े अभी आए नहीं हैं पर उनके अनुमान के अनुसार, यह संख्या 10 लाख के करीब ही है। पिछले साल यह आंकड़ा 11 लाख था।
जल्दी वापस लौटने के कारण नहीं हो पाई उनकी सही गिनती
इफशान दीवान के मुताबिक, इस बार बहुत से प्रवसी परिंदों को गिनती में इसलिए शामिल नहीं किया जा सका क्योंकि तेजी से बदलते मौसम के कारण वे वापस लौट गए थे। उनका दावा था कि पिछली सर्दियों की बनिस्बत इस बार की सर्दी गर्माहट लिए हुए थी जिस कारण ये पक्षी जल्द लौटने लगे हैं।
पिछले साल सर्दी लंबी चली थी जिस कारण गिनती का कार्य 15 फरवरी को शुरू हुआ था पर इस बार इसे जनवरी के महीने में ही आरंभ करने के बावजूद बहुत से हजारों पक्षियों को गिना ही नहीं जा सका है।
पिछले साल इन इलाकों में दिखे थे ये प्रवासी परिंदे
जानकारी के लिए कश्मीर में होकरसर, वुल्लर झील, हायगाम, मीरगुंड और शैलबुग जैसे कई ऐसे इलाके हैं जहां पर ये मेहमान पक्षी अपना डेरा डालते हैं। होकसार के वन्य जीव वार्डन गुलाम मुहम्मद का कहना था कि ये मेहमान पक्षी नवंबर से फरवरी के अंत तक चार माह की अवधि के लिए ही इन स्थानों पर ठहरते हैं। इसके बाद आमतौर पर ये पक्षी अपने पुराने स्थानों की ओर लौटना शुरू कर देते हैं।
यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों में ब्राह्णी बत्तख, टफड बत्तख, गड़वाल कामन पाक हार्ड, मिलार्ड, गैरेनरी, रैड करासड कामन टीट आदि शामिल हैं। लेकिन शैलबुग वेटलेंड के आसपास के इलाकों में निर्माण गतिविधियां ज्यादा होने के कारण वहां प्रवासी पक्षियों की आमद बहुत ही कम दिखी है।
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