प्रतीकात्मक फोटो |
जयपुर। राजस्थान सरकार ने 'ऊंट संरक्षण व विकास नीति' लागू करने की घोषणा की है। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जबकि राजस्थान ही नहीं बल्कि समूचे देश में ऊंटों की संख्या लगातार कम हो रही है और नागालैंड, मेघालय जैसे राज्यों में आधिकारिक रूप से अब एक भी ऊंट नहीं बचा है।
ऊंट राजस्थान का राज्य पशु है और थार रेगिस्तान वाले राजस्थान को ऊंट का घर भी कहा जाता है। लेकिन इनकी संख्या लगातार कम हो रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में अब दो लाख से भी कम ऊंट बचे हैं जबकि पूरे देश की बात की जाए तो 2012 से 2019 के बीच ऊंटों की संख्या लगभग डेढ़ लाख घटकर 2.52 लाख रह गई।
भले ही ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता हो लेकिन असम से लेकर केरल कर्नाटक तक और गुजरात से लेकर हरियाणा पंजाब तक देश के अनेक राज्यों में ऊंट पाए जाते हैं। भारत सरकार द्वारा दिसंबर महीने में संसद में दिए गए आंकड़ों के अनुसार देश में इनकी कुल संख्या 2012 की पशुधन गणना में 1.17 लाख घटकर चार लाख थी जो 2019 की गणना में 1.48 लाख और घटकर 2.52 लाख रह गई। साल 2019 की पशुगणना में अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, मेघालय व नागालैंड में ऊंट की संख्या आधिकारिक रूप से शून्य हो गई जबकि पांच साल पहले यानी 2012 में इन राज्यों में क्रमश: 45, 03, 07 व 92 ऊंट थे।
देश के लगभग 85 प्रतिशत ऊंट राजस्थान में पाए जाते हैं। इसके बाद गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश का नंबर आता है। संसद में दी गई जानकारी के अनुसार राजस्थान में 2012 में ऊंटों की संख्या 3,25,713 थी जो 2019 में 1,12,974 घटकर 2,12,739 रह गई।
राज्य में ऊंट संरक्षण की मांग लंबे समय से उठ रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले सप्ताह पेश सालाना बजट 2022-23 में राज्य में 'ऊंट संरक्षण व विकास नीति लागू' करने का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि राज्य पशु ऊंट के पालन, संरक्षण तथा समग्र विकास के लिए इस नीति के तहत अगले साल 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाएगा।
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