चुनावी हार पर कांग्रेस में रार, असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 के नेता सक्रिय


नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और पंजाब के चुनाव में हुई हार के बाद कांग्रेस में हलचल दिख रही है। इस चुनावी हार को लेकर कथित असंतुष्ट नेताओं के समूह जी-23 के नेता सक्रिय होते दिख रहे हैं। शुक्रवार को कुछ नेताओं ने गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की और पार्टी की स्थिति पर चर्चा की।

सूत्रों के मुताबिक जी-23 के प्रमुख नेताओं में शामिल कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी देर शाम गुलाम नबी आजाद के आवास पहुंचे और उनसे मुलाकात की। इस दौरान कुछ और कांग्रेस नेता भी आजाद के घर पहुंचे। 

सूत्र बता रहे हैं कि इस मुलाकात में कांग्रेस नेताओं ने पांच राज्यों में हुई कांग्रेस की बुरी गत को लेकर चर्चा की। इसके पहले आजाद ने चुनावी नतीजों पर अपनी प्रतिक्रिया में कांग्रेस की स्थिति पर दुख जताया था। मनीष तिवारी ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी। बता दें कि पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस को पंजाब में सत्ता बरकरार रखने और उत्तराखंड, गोवा में सत्ता में वापसी की उम्मीद थी। लेकिन न केवल पंजाब की सत्ता हाथ से चली गई, बल्कि उत्तराखंड और गोवा में अपेक्षित प्रदर्शन भी नहीं कर सकी। उत्तराखंड को छोड़ बाकी चारों राज्यों में कांग्रेस का मत प्रतिशत गिरा। 

सबसे बुरी हालत उत्तर प्रदेश में हुई, जहां महासचिव प्रियंका गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव लड़ा और दो सीट पर आकर सिमट गई। पार्टी का यूपी में यह प्रदर्शन अब तक के इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। कांग्रेस ने राज्य की 400 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसे केवल 2.31 प्रतिशत वोट मिले।

इस शर्मनाक प्रदर्शन के बाद पार्टी के पुराने नेता कांग्रेस नेतृत्व, उसके फैसले, चुनावी रणनीति, संगठन की कार्यप्रणाली जैसे मुद्दों पर एक बार फिर मुखर होते दिख रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इन्हीं मुद्दों को लेकर चर्चा की जरूरत पर बल दिया था और ऊपर से नीचे तक संगठन में आमूलचूल बदलाव, हर स्तर पर चुनाव और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग की थी। इन मुद्दों पर गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में पार्टी के 23 नेताओं ने इस बारे में सोनिया गांधी को पत्र लिखा था, जिस पर बड़ा बवाल हुआ था। जिसके बाद सोनिया गांधी ने सभी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा और जल्द ही पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव कराने का आश्वासन दिया था। तब से अब तक दो साल बीतने को है। 2019 में राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से सोनिया गांधी कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर पार्टी संभाले हुए हैं। पूर्णकालिक अध्यक्ष की चुनाव तिथि दो बार टल चुकी है। अब सितंबर तक नए अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी होने की बात कही जा रही है।

पार्टी में हो रहे फैसलों को लेकर कपिल सिब्बल ने भी सवाल उठाया था और कहा था कि फैसले कौन ले रहा है, पता नहीं। उनका इशारा था कि पार्टी के समुचित फोरम पर बगैर चर्चा और विमर्श के तमाम अहम फैसले लिए जा रहे हैं। इन्हीं मुद्दों पर अब जी-23 सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाने की मांग करने की तैयारी में है। 

सूत्र बता रहे हैं कि एक बार फिर वरिष्ठ नेताओं के सक्रिय होने के बाद पार्टी हाईकमान ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाने का संकेत दिया है।

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