नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कुछ उच्च न्यायालयों द्वारा वकीलों को ‘वरिष्ठ ओहदा' देने के लिए ‘फुल कोर्ट’ की गुप्त मतदान प्रक्रिया को ‘एकतरफा और भेदभावपूर्ण’ करार देने संबंधी याचिका पर विचार के वास्ते मंगलवार को सहमति जता दी।
न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति रवीन्द्र भट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि वह वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की याचिका की सुनवाई करेगी। न्यायालय ने जयसिंह की ही याचिका पर 2017 में वकीलों को ‘वरिष्ठ’ ओहदा दिये जाने के मामले में दिशानिर्देश जारी किये थे।
जयसिंह ने कहा कि वकीलों को वरिष्ठ का ओहदा संबंधित समिति के अंकों के आधार पर दिया जाना चाहिए और मतदान का सहारा ‘केवल’ तभी लिया जाना चाहिए, जब उसे टाला नहीं जा सके।’’
उन्होंने कहा कि कुछ उच्च न्यायालय मतदान का तरीका ‘मानक’ के तौर पर अपना रहे हैं, न कि अपवाद के तौर पर।
याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय तथा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा मतदान के जरिये ओहदा दिये जाने संबंधी तौर तरीकों के इस्तेमाल का उल्लेख किया गया है।
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