एबीवीपी के पूर्व अध्यक्ष विधवा महिला के दरवाजे पर पेशाब करने के आरोप में गिरफ्तार


चेन्नई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सुब्बैया शनमुगम को चेन्नई पुलिस ने महिला पड़ोसी को दरवाजे पर पेशाब करने और घर के बाहर कचरा फेंकने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

कथित घटना जुलाई 2020 की है, जब डॉक्टर सुब्बैया किलपौक मेडिकल कॉलेज में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख थे और उनका पड़ोस में रहने वाली एक 60 साल की महिला के साथ पार्किंग को लेकर विवाद पैदा हो गया था। पीड़ित महिला की शिकायत पर अडंबक्कम पुलिस ने मामले में केस दर्ज किया था।

पुलिस ने डॉक्टर सुब्बैया पर भारतीय दंड संहिता की धारा 271 (संगरोध नियम की अवज्ञा) और धारा 427 (नुकसान पहुंचाना) और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। हालांकि मामला दर्ज होने के कुछ घंटे बाद महिला के परिवार ने कहा कि उन्हें डॉक्टर सुब्बैया के खिलाफ शिकायत को वापस ले लिया था।

इस मामले में पीड़िता के परिवार का कहना था कि अन्य पड़ोसी डॉक्टर सुब्बैया के पक्ष में थे और वो मामले को आगे नहीं बढ़ाने के लिए दबाव बना रहे थे। वहीं मामले में पुलिस का कहना है कि डॉक्टर सुब्बैया का नाम वापस लेने के बावजूद उन्हें अपनी जांच जारी रखनी होगी क्योंकि मामले में एफआईआर दर्ज हो चुकी थी।

दरअसल पीड़िता ने जुलाई 2020 में आरोप लगाया कि वो विधवा है और अपने घर में अकेले ही रहती है। उसने कहा कि डॉक्टर सुब्बैया उसके पड़ोसी हैं और वो उसका लगातार उत्पीड़न करते रहते हैं। उसने कहा कि कभी उसके घर के सामने कचरा फेंक दिया जाता है तो कभी उसके दरवाजे पर कोई पेशाब कर देता था।

महिला को पूरा संदेह डॉक्टर सुब्बैया पर ही था क्योंकि कुछ वक्त पहले ही पार्किंग के लिए डॉक्टर सुब्बैया ने उसके साथ बहस की थी। अंत में थककर महिला ने अपने घर के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगवाया। जिसने दरवाजे पर पेशाब करने वाले व्यक्ति का वीडियो कैप्चर हो गया। महिला ने आरोप लगाया कि यह वीडियो में डॉक्टर सुब्बैया थे। लेकिन डॉक्टर सुब्बैया ने महिला द्वारा लगाये गये सभी आरोपों का खंडन किया।

उन्होंने दावा किया कि महिला ने उन्हें फंसाने के लिए वीडियो से छेड़छाड़ की है। लेकिन मामले ने तब राजनीतिक रंग ले लिया जब भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ ने इसके लिए सीधे एबीवीपी के पूर्व प्रमुख डॉक्टर सुब्बैया को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर दी। NSUI ने इस मामले में यह आरोप भी लगाया कि डॉक्टर सुब्बैया के राजनीतिक संबंधों के कारण पुलिस मामले में कार्रवाई करने से हिचक रही है।

वहीं इस घटना के कुछ महीने बाद अक्टूबर 2020 में डॉक्टर सुब्बैया को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) मदुरै के बोर्ड सदस्य के रूप में नियुक्त कर दिया गया। जबकि राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होकर सरकारी कर्मचारियों के आचरण नियमों का उल्लंघन के आरोप में किलपौक मेडिकल कॉलेज में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रमुख के पद से निलंबित कर दिया गया था।

डॉक्टर सुब्बैया पर आरोप था कि उन्होंने मेडिकल कॉलेज में एबीवीपी सदस्यों की मदद की। जिसके बाद एबीवीपी के सदस्यों ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के आवास के सामने जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया था।

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