सरकारी अफसरों के घर बेदखली के लिए बाउंसर भेजने पर सुप्रीम कोर्ट हैरान


नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि नई दिल्ली के खान मार्केट में सुजान सिंह पार्क के फ्लैटों से सरकारी अधिकारियों को बेदखल करने के लिए बाउंसर भेजे जा रहे हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस एनवी रमण से इस मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की।

चीफ जस्टिस ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘वे सरकारी अधिकारियों के खिलाफ बाउंसर कैसे भेज सकते हैं?’ मेहता ने जवाब में कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है।’ इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि मामला 5 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के जनवरी-2020 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है।

हाईकोर्ट ने अतिरिक्त किराया नियंत्रण न्यायाधिकरण के फैसले की पुष्टि की थी। इसमें केंद्र को प्रतिवादी, शोभा सिंह एंड संस को बकाया किराए के भुगतान का निर्देश दिया गया था। विचाराधीन संपत्ति पर आवासीय फ्लैट हैं, जिन्हें सरकार को 1944 में रियायती दर से किराए पर दिया गया था। सरकार ने 1989 तक किराए का भुगतान किया, लेकिन उसके बाद प्रतिवादी शोभा सिंह एंड संस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कई अनियमितताओं के कारण मुकदमेबाजी शुरू हो गई।

केंद्र का तर्क है कि अनुदान अधिनियम की धारा-3 के प्रावधान से स्पष्ट है कि ‘अनुदान’ के रूप में किसी व्यक्ति के पक्ष में किसी भी सरकारी संपत्ति को किसी अन्य कानून के प्रावधानों के दायरे से बाहर रखा जाएगा। कोई भी कानून, जो सरकारी अनुदान की धारणाओं के विपरीत है, किसी विशिष्ट व्यक्ति के पक्ष में दी गई सरकारी संपत्ति पर लागू नहीं होगा।

प्रतिवादी ने 1998 में अतिरिक्त किराया नियंत्रण न्यायाधिकरण के समक्ष बेदखली याचिका दायर की। यहां से प्रतिवादी के पक्ष में फैसला आया। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस फैसले की पुष्टि की। लिहाजा केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

सरकार ने कहा कि अतिरिक्त किराया नियंत्रण न्यायाधिकरण ने एक सितंबर, 2007 के अपने आदेश में यह गलती से माना कि विवादित संपत्ति दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम (डीआरसीए) के प्रावधानों के तहत कवर की गई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने 8 जनवरी, 2020 को अपने आदेश में उसके निष्कर्ष की पुष्टि की थी।

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