केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के लिए मिले कोटे ने सांसदों का ‘जीना हराम' कर दिया है


नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार मोदी ने केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में दाखिले के लिए सांसदों को मिले विवेकाधीन कोटे को समाप्त करने की मांग उठाई। राज्यसभा में शून्य काल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए उन्होंने कहा कि इस कोटे ने सांसदों का ‘जीना हराम' कर दिया है, क्योंकि कोटा सिर्फ 10 छात्रों के दाखिले का होता है और सैंकड़ों की संख्या में लोग इसके लिए पहुंच जाते हैं। 

उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के लिए प्रत्येक सांसदों को 10 विवेकाधीन कोटा है और इसके अतिरिक्त प्रत्येक विद्यालय के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष का 17 कोटा है। मैं शिक्षा मंत्री से इसे समाप्त करने की मांग करता हूं। 

उन्होंने कहा कि सांसदों के पास 7,880 छात्रों के दाखिले का कोटा है, जबकि प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के पास करीब 29,000 कोटा है। उन्होंने कहा कि यह विवेकाधीन कोटा प्रतिभा में पारदर्शिता के खिलाफ और बहुत अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि इसमें आरक्षण का भी कोई प्रावधान नहीं होता है और ऐसा करके आरक्षण के लाभार्थियों को हम इसके लाभ से वंचित कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि विवेकाधीन कोटे से दाखिले के कारण शिक्षकों पर भी अत्यधिक दबाव पड़ता है। 

समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने प्राथमिक स्कूलों की खस्ताहाल स्थिति और उनमें शिक्षकों के अभाव का मुद्दा उठाया और कहा कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों के होते हैं।  

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