तिरुवनंतपुरम। केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को सरकारी कर्मचारियों को ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए 48 घंटे के राष्ट्रव्यापी बंद में भाग लेने से रोक दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार के कर्मचारियों को भारत बंद में हिस्सा लेने से रोकने के लिए तुरंत आदेश जारी करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों का हड़ताल में शामिल होना सेवा नियमों के खिलाफ है। हाईकोर्ट ने एलडीएफ सरकार को सोमवार को निर्देश जारी कर कहा कि वह दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान अपने कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए तत्काल निषेध आदेश जारी करे।
मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चले ने सीसी नायर एस की जनहित याचिका पर यह अंतरिम निर्देश जारी किए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता सजीत कुमार वी ने आदेश की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि अदालत का मानना है कि सरकारी कर्मियों द्वारा हड़ताल करना अवैध है, क्योंकि उनकी सेवा शर्तों में ऐसा करना निषेध है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि राज्य सरकार अपने कर्मचारियों को केंद्र सरकार के खिलाफ हड़ताल पर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और दो दिन तक काम का बहिष्कार करने के दौरान उन्हें वेतन का भुगतान करेगी। सरकारी कर्मी 28 और 29 मार्च को काम का बहिष्कार कर रहे हैं। सेंट्रल ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
केरल में इस हड़ताल के चलते लगभग सभी संस्थान बंद रहे। हड़ताल की वजह से कहीं परिवहन सेवाएं प्रभावित हुईं, तो कहीं रेलवे स्टेशनों और सड़कों को अवरुद्ध कर दिया गया। कई जगह से ट्रेन की आवाजाही रोकने की भी खबर सामने आई है। केरल में इस हड़ताल के चलते लगभग सभी संस्थान बंद रहे।
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