कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिये भारत ने महत्वपूर्ण कदम उठाए, अन्य देश गंभीर नहीं : भाजपा सांसद


नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन को देश एवं दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने कहा कि भारत ने वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित करने सहित कई कदम उठाये हैं लेकिन अन्य देश इस विषय पर अपने प्रयासों को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे जो चिंता का विषय है।

लोकसभा में नियम 193 के तहत जलवायु परिवर्तन के विषय पर पहले से जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए सिन्हा ने कहा कि दुनिया के सामने आज यूक्रेन संघर्ष के कारण उत्पन्न संकट, कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव जैसी चुनौतियां हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन एक ऐसी समस्या है जो आने वाले समय के लिये भी बड़ी चुनौती बनी रहेगी ।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने कई क्षेत्रों में दुनिया को नेतृत्व प्रदान किया है और जलवायु परिवर्तन के विषय पर जारी प्रयासों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।

जयंत सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा तथा उत्सर्जन में कमी लाने के लिये महत्वपूर्ण कदम उठायें हैं जो ऐतिहासिक हैं ।

भाजपा सदस्य ने कहा कि भारत का कदम विकास के साथ साथ कार्बन उत्सर्जन से मुक्त वातावरण बनाने की दिशा में अहम है। ऐसा कदम अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन, कोरिया जैसे देशों ने भी नहीं उठाये ।

सिन्हा ने एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले 200 वर्षो में वैश्विक औसत तापमान में 1.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है और ऐसा अनुमान है कि आने वाले 80 वर्षो में वैश्विक औसत तापमान में 1.5 डिग्री से 2 डिग्री सेल्सियस की और वृद्धि हो सकती है।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और इसके कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि का काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है । हिमनद के पिघलने से नदियों के प्रवाह प्रभावित हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण रेगिस्तान का दायरा बढ़ रहा है और समुद्र के पानी के गर्म होने के कारण चक्रवात एवं समुद्री तूफान के चक्र एवं ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं ।

भाजपा सांसद ने कहा कि भारत ने तो दुनिया के सामने कार्बन उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य रख दिया और इस दिशा में प्रतिबद्धता के साथ काम भी कर रहा है लेकिन इस दिशा में निवेश एवं कार्यक्रमों पर नजर डालें तब दुनिया के दूसरे देश अपने प्रयासों को लेकर गंभीर नहीं नजर आते हैं ।

उन्होंने कहा कि भारत ने अपने वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत बढ़ाने और 500 गिगावाट नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में काम करने की रूपरेखा तैयार की है।

सिन्हा ने कहा कि हमें विकास का मॉडल बदलना होगा ।

उन्होंने कहा कि समय आ गया है जब द्वितीय विश्व युद्ध के समय बनाई गई संस्थाओं में बदलाव करते हुए नयी तरह की संस्थाएं एवं व्यवस्थाएं तैयार करनी होंगी ।

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