खरगोन दंगे : रेस्तरां और बेकरी पर बुलडोजर चलाने को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब



इंदौर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी की शोभायात्रा निकलने के बाद हुए दंगों के बाद इस कस्बे में एक कैफे और एक रेस्तरां के कथित अवैध निर्माण ढहाए जाने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। खरगोन के रेस्तरां और बेकरी के मालिकों की दायर अलग-अलग रिट याचिकाओं पर क्रमशः 22 अप्रैल और 28 अप्रैल को सुनवाई करते हुए अलग-अलग न्यायाधीशों ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किए हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील ने शनिवार को यह जानकारी दी।

रेस्तरां के मालिक अतीक अली (36) और बेकरी के मालिक अमजद रशीद (58) ने अपनी याचिकाओं में आरोप लगाया है कि खरगोन के प्रशासन ने उनकी संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की ‘मनमानी’ और ‘गैरकानूनी’ कार्रवाई से पहले उन्हें सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया।

रेस्तरां मालिक की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने दलील दी कि इस मामले में राज्य सरकार की ओर से उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है और रेस्तरां के केवल उस हिस्से को ढहाया गया है जिसे इस संपत्ति से कानूनी प्रावधानों के मुताबिक नहीं जोड़ा गया था। याचिकाकर्ताओं के वकील ने शनिवार को मीडिया से कहा,‘खरगोन के प्रशासन ने दंगों के बाद अवैध निर्माण हटाने के नाम पर गैरकानूनी कार्रवाई करते हुए मेरे मुवक्किल के रेस्तरां का एक हिस्सा गिरा दिया, जबकि दूसरे पक्षकार की बेकरी को पूरी तरह ढहा दिया गया।' 

उन्होंने कहा कि खरगोन में दंगे भड़कने के बाद असामाजिक तत्वों ने 2,028 वर्ग फुट पर फैली इस बेकरी में आग लगा दी थी और इसके दो ही दिन बाद यानी 12 अप्रैल को प्रशासन ने न केवल बेकरी को ढहा दिया, बल्कि वहां रखे जनरेटर को भी ध्वस्त कर दिया। वारसी ने दावा किया कि उनके दोनों पक्षकारों की खरगोन दंगों में कोई भूमिका नहीं है और वे उनकी ढहाई गई संपत्तियों के कानूनी मालिक हैं तथा इनसे जुड़े तमाम सरकारी करों का भुगतान भी करते हैं। 

उन्होंने बताया कि दोनों याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय से गुहार की है कि उनकी संपत्तियों को ढहाने के लिए जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ न्यायिक जांच कराई जाए और दोषी सरकारी कारिंदों को दंडित किया जाए। वारसी ने बताया कि याचिकाओं में अदालत से यह अनुरोध भी किया गया है कि ढहाई गई दोनों संपत्तियों को फिर से बनवाकर दिया जाए और इनके मालिकों को उनके नुकसान के एवज में उचित मुआवजा दिलवाया जाए।

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