शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ की तरह काम नहीं कर सकती अदालत : सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई अदालत शिक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ की तरह काम नहीं कर सकती और यह तय करना संस्थानों पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि कोई उम्मीदवार अपेक्षित योग्यता रखता है या नहीं। 

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, ‘शिक्षा के क्षेत्र में अदालत आमतौर पर किसी विशेषज्ञ के रूप में काम नहीं कर सकती, इसलिए यह तय करने की जिम्मेदारी शैक्षणिक संस्थाओं और यदि कोई विशेषज्ञ समिति मामले पर विचार कर रही हो, तो उस पर छोड़ देना बेहतर होगा कि कोई छात्र/उम्मीदवार अपेक्षित योग्यता रखता है या नहीं।' 

न्यायालय ने झारखंड के उच्च विद्यालयों में विभिन्न वर्गों के तहत अलग-अलग विषयों के लिए स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों के पद पर नियुक्ति की चयन प्रक्रिया के संबंध में झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

पीठ ने कहा, ‘हमने संबंधित रिट याचिकाकर्ताओं के डिग्री/प्रमाणपत्र देखे हैं। प्रतीत होता है कि संबंधित रिट याचिकाकर्ताओं ने इतिहास की शाखाओं में से किसी एक शाखा यानी प्राचीन भारत का इतिहास, प्राचीन भारत का इतिहास एवं संस्कृति, मध्यकालीन/आधुनिक इतिहास, प्राचीन भारत का इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व में से किसी एक में स्नातकोत्तर डिग्री/स्नातक डिग्री प्राप्त की है।' 

उसने कहा, ‘हमारे विचार में, इतिहास की किसी एक शाखा में डिग्री प्राप्त करना इतिहास में डिग्री प्राप्त करना नहीं कहा जा सकता। 

इतिहास के एक शिक्षक के रूप में उसे इतिहास के सभी विषयों, यानी प्राचीन इतिहास, भारतीय प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति, मध्यकालीन/आधुनिक इतिहास, प्राचीन भारत का इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व आदि सभी को पढ़ाना होगा।'

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