जहांगीरपुरी में पहुंचे विपक्षी दलों के नेताओं को पुलिस ने रोका, कहा, इससे लोकतंत्र को खतरा


नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी में विवादास्पद अतिक्रमण-विरोधी अभियान के एक दिन बाद शुक्रवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस के नेता स्थानीय लोगों से मिलने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। 

भाकपा का पांच-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सुरक्षार्किमयों द्वारा रोके जाने के बाद जहांगीरपुरी में कुशल चौक के पास बैरिकेड के निकट धरने पर बैठ गया। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य डी राजा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे लोग लोगों की पीड़ा समझने आये हैं। 
 
प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों में भाकपा नेता एन्नी राजा, ए खान, पल्लव सेन गुप्ता और बिनय बिस्वान शामिल हैं। राजा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम यहां लोगों से मिलने और उनकी पीड़ा समझने आये हैं। हमें अंदर जाने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है? (मकानों को) ढहाने का आदेश क्यों दिया गया? इसके पीछे कौन था? दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय के तहत है, इसलिए (गृह मंत्री) अमित शाह को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।’’ 

उन्होंने कहा कि गैर-कानूनी तरीके से घरों को ढहाया गया और केंद्रीय गृह मंत्री को बताना चाहिए कि वहां क्या हुआ। 
 
बाद में सपा का भी चार-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल कुशल चौक पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल में सांसद एस टी हसन, विश्वम्भर प्रसाद निषाद, रवि प्रकाश वर्मा, जावेद अली खान एवं सफीकुर रहमान शामिल थे। हसन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमें मौके पर जाने और लोगों से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए। वे (पुलिस) हमें यह कहकर रोक रहे हैं कि लोकतंत्र को गम्भीर खतरा है।’’ 

बाद में, तृणमूल कांग्रेस के भी एक प्रतिनिधिमंडल ने हिंसा-प्रभावित इलाके का दौरा किया, लेकिन इसे भी दिल्ली पुलिस ने मौके पर पहुंचने नहीं दिया। इस प्रतिनिधिमंडल में सभी महिला सदस्य थीं। 
 
तृणमूल की सांसद एवं वरिष्ठ नेता अपरुपा पोद्दार ने ट्वीट किया और कहा कि केंद्र सरकार सच्चाई बाहर आने से डर रही है, इसलिए जहांगीरपुरी में लोगों से मिलने से उन्हें रोका जा रहा है। 

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘पुलिस ने तृणमूल कांग्रेस की महिला तथ्यान्वेषी टीम को जहांगीरपुरी जाने से रोक दिया। यह टीम ममता दीदी द्वारा भेजी गयी थी। भाजपा सरकार एवं दिल्ली पुलिस डर रही है कि यदि प्रतिनिधिमंडल को पीड़ितों से मिलने की इजाजत दी गयी तो जहांगीरपुरी हिंसा का सच सामने आ जाएगा।’’     

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