तेजस्वी यादव का ट्वीट - "बुलडोजर सिर्फ जाति धर्म देख कर ही चलायेंगे या राष्ट्र की एकता, अखंडता व संविधान की भी चिंता करेंगे?"


नई दिल्ली। जहांगीरपुरी में उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा तनाव प्रभावित क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण को गिराने के लिए बुलडोजर भेजने को विपक्षी दलों ने एमसीडी के फैसले को शासन का बुलोजरीकरण कहा और उसकी कड़ी निंदा की है।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस समेत कई राजनीति दलों ने निगम के इस कार्रवाई की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि प्रशासन बुलडोजर के जरिए एक धर्म विशेष में दहशत का माहौल बना रही है।

इसी क्रम में ट्विटर पर अपने विरोध स्वर को तेज करते हुए राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट करते हुए कहा, "चीन ने हमारी सीमा में दो गांव बसा लिए लेकिन बुलडोज़र तो दूर इनकी हिम्मत नहीं उसके बारे में दो शब्द भी बोल सकें। बुलडोजर सिर्फ जाति धर्म देख कर ही चलायेंगे या राष्ट्र की एकता,अखंडता व संविधान की भी चिंता करेंगे? अगर अवैध निर्माण है तो इतने वर्षों तक शासन/प्रशासन क्या कर रहा था?"

मालूम हो कि बीते 16 अप्रैल को दिल्ली सहित देश के अन्य कई राज्यों में हनुमान जयंती के मौके पर जुलूस निकाला गया था। दिल्ली के जहांगीरपुरी में भी विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने शोभायात्रा निकाली थी, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे।

कथिततौर पर आरोप है कि जुलूस जैसे ही जहांगीरपुर के सी ब्लॉक स्थित एक मस्जिद के पास पहुंची। वहीं पर दो समुदायों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई और दोनों पक्ष एक-दूसरे पर पथराव करने लगे।

मौके पर साथ चल रही दिल्ली पुलिस की टुकड़ी ने हालात को संभालने की कोशिश की लेकिन तब तक दोनों पक्षों के लोग लाठी-डंडे और हथियारों के साथ लड़ाई करने लगे। इस दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा और पूरे घटनाक्रम में करीब 8 पुलिसकर्मियों समेत दर्जनों लोग चोटिल हो गये। 

दिल्ली पुलिस ने मामले की तहकीकात का जिम्मा क्राइम ब्रांच को सौंपा है। दिल्ली पुलिस लगातार कोशिश कर रही है कि मामले के दोषियों को सजा मिले, इसके लिए दिल्ली पुलिस भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो की जांच कर रही है।

इस बीच दिल्ली नगर निगम का एक अतिक्रमण दस्ता जहांगीरपुरी के उन इलाकों में पहुंचा, जहां हनुमान जयंती के दौरान हिंसक टकराव हुआ था। अतिक्रमण दस्ते के साथ बुलडोजर भी थे और उन्होंने अतिक्रमण का हवादा देते हुए वहां बने हुए अवैध निर्णाण को गिराना शुरू कर दिया।

एमसीडी के इस एक्शन को अनुचित बताते हुए कुछ लोग दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट चल गये, जहां सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई गुरुवार को करने का आदेश दिया और एमसीडी की कार्रवाई पर रोक लगा दी। जिसके बाद एमसीडी के बुलडोजरों ने अवैध अतिक्रमण को गिराना रोक दिया। अब इस मामले में कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद ही स्थिति साफ हो पायेगी की एमसीडी के अतिक्रमण अभियान की दशा और दिशा कैसी करती है।

दरअसल बुलडोजर सियासत में नया शगूफा है, जिसे सबसे पहले यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छोड़ा और उसके बाद तो कई राज्यों और उनमें से भी भाजपा शासित राज्य कानून-व्यवस्था को बनाये रखने के लिए बुलडोजर के इस्तेमाल पर जोर देने लगे हैं।

मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी के अवसर पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ शिवराज सरकार ने जिस तरह से बुलडोजर का प्रयोग किया, उससे उन्हें ‘बुलडोजर मामा’ कहकर बुलाया जा रहा है।

खरगोन मामले से पहले 22 मार्च को रायसेन जिले में दो समुदायों के बीच हुए संघर्ष में एक आदिवासी युवक की मौत हो गई थी, उस मामले में भी सीएम शिवराज ने आरोपियों के घरों को बुलडोजर से ध्वस्त करने का आदेश दिया था। वहीं श्योपुर में कथित रेप के मामले में भी प्रशासन आरोपियों का घर बुलडोर से जमींदोज कर चुका है। 

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