स्टॉफ के व्यवहार से रेलवे की श्रेष्ठ छवि का हो निर्माण : मुकुल सरन माथुर

रेलवे की स्‍टॉफ प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित 


जबलपुर। रेलवे के फ्रंट लाइन स्टॉफ का यात्रियों से व्यवहार, कर्तव्यनिष्ठा और विश्वास ही रेलवे के कर्मचारी के कर्मयोगी कर्मचारी होने का प्रमुख गुण है। इस गुण से कर्मचारी श्रेष्ठ सेवा प्रस्तुत करके अपनी तथा विभाग और रेलवे को उच्चतम मूल्य प्रदान करता है। सरकार की मंशा यही है कि रेलवे का फ्रंट लाइन का स्टॉफ हमेशा ऐसा व्यवहार यात्रियों से करे कि रेल यात्री के मन में रेलवे और देश की एक श्रेष्ठ छवि का निर्माण हो।

उक्त आशय के विचार प्रमुख मुख्य वाणिज्य प्रबंधक पमरे मुकुल सरन माथुर ने रेलवे के फ्रंट लाइन स्टॉफ की कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। इस मौके पर श्री माथुर ने बताया कि सरकार ने देश के एक लाख फ्रंट लाइन स्टॉंफ को कर्मयोगी कार्यशाला से उनके उत्थान के लिए एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया है, जिसके तहत् पमरे के तीनों मंडलों में रेलवे के फ्रंट लाइन स्टॉफ को यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी के श्रेष्ठ कार्य निष्पादन एवं व्यवहार से उसके पारिवारिक जीवन में भी सकारात्मक एवं श्रेष्ठे तत्वों  का संचार होता है, जिससे परिवार में भी खुशहाली आती है।

इस अवसर पर वरि. मंडल वाणिज्य प्रबंधक विश्व रंजन ने बताया कि भारतीय रेल यातायात प्रबंधन संस्थान लखनऊ से प्रशिक्षण प्राप्तन मास्टर ट्रेनरों द्वारा मंडल के वाणिज्य विभाग के 11 सौ कर्मचारियों, जिनमें टिकिट चैकिंग, आरक्षण, बुकिंग, पार्सल विभाग के कर्मचारी समाहित हैं। इन्हें कार्य एवं व्यवहार में आवश्‍यक सुधार के लिए कर्मयोगी कर्मचारी का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। 

इस अवसर पर कार्यशाला में सहायक वाणिज्य प्रबंधक पंकज दुबे, मास्टर ट्रेनर संदीप श्रोती, अमित खंडेलवाल, सचिन पटेल के साथ ही मुख्य वाणिज्य निरीक्षक पवन नेमा, सूर्यप्रकाश खरे और प्रशिक्षण बैच में शामिल महिला एवं पुरूष कर्मचारी आदि भी उपस्थित थे।

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