नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक एवं 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के ‘मास्टरमाइंड’ हाफिज सईद के बेटे हाफिज तल्हा सईद को आतंकवादी घोषित कर दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक अधिसूचना से यह जानकारी सामने आई है।
अधिसूचना के मुताबिक, 46 वर्षीय हाफिज तल्हा सईद भारत और अफगानिस्तान में भारतीय हितों को निशाना बनाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा में कारिंदों की भर्ती करने, धन जुटाने और हमलों की साजिश रचने तथा उन्हें अंजाम देने के कृत्यों में सक्रिय रूप से शामिल है।
अधिसूचना में कहा गया है कि वह पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के विभिन्न ठिकानों का भी नियमित रूप से दौरा करता है और भारत, इजराइल, अमेरिका एवं अन्य पश्चिमी देशों में भारतीय हितों के खिलाफ जिहाद छेड़ने का आह्वान करने वाले बयान देता है।
अधिसूचना के अनुसार, ‘‘केंद्र सरकार का मानना है कि हाफिज तल्हा सईद आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है और उसे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत आतंकवादी घोषित किया जाना चाहिए।’’
इसमें कहा गया है कि नतीजतन तल्हा सईद को कड़े अधिनियम के तहत एक आतंकवादी के रूप में नामित किया गया है।
हाफिज तल्हा सईद भारत सरकार द्वारा आतंकवादी घोषित किया जाने वाले 32वां शख्स है। उसका जन्म 25 अक्टूबर 1975 को हुआ था और वह पाकिस्तान के लाहौर का निवासी है।
हाफिज तलहा सईद लश्कर का एक वरिष्ठ कमांडर है और आतंकवादी संगठन के मौलवी विंग का प्रमुख है।
वहीं, उसका पिता हाफिज सईद 26 नवंबर, 2008 के मुंबई आतंकी हमलों का ‘मास्टरमाइंड’ है। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे।
हाफिज सईद को कुछ साल पहले इसी कानून के तहत आतंकवादी घोषित किया गया था और वर्तमान में वह पाकिस्तान में आतंकवाद संबंधी आरोपों में जेल की सजा काट रहा है। भारत लगातार हाफिज सईद की हिरासत की मांग करता रहा है, लेकिन पाकिस्तान ने उसे सौंपने से इनकार कर दिया है।
लश्कर-ए-तैयबा 26/11 के हमलों के अलावा भारत में कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है। इनमें से ज्यादातर हमले जम्मू कश्मीर में हुए हैं, जिनमें पिछले कुछ वर्षों में कई आम नागरिक और सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं।
कई आतंकवादी कृत्यों में शामिल हाफिज सईद और लश्कर-ए-तैयबा का ‘ऑपरेशनल कमांडर’ जकीउर रहमान लखवी भारत के वांछित आतंकवादियों में शामिल है।
लश्कर को यूएपीए की पहली अनुसूची के तहत आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। संगठनों और व्यक्तियों की गैरकानूनी गतिविधियों को अधिक प्रभावी ढंग से रोकने और आतंकवादी गतिविधियों तथा उससे जुड़े मामलों से निपटने के लिए यूएपीए को लागू किया गया है।
अगर सरकार को यह लगता है कि कोई व्यक्ति आतंकवाद में शामिल है तो यूएपीए की धारा 35 केंद्र सरकार को अधिनियम की चौथी अनुसूची में उस व्यक्ति के नाम को शामिल करने का अधिकार देती है।
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