राज्यसभा : कांग्रेस और शिव सेना सहित विपक्षी दलों के भारी हंगामे के बीच कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित


नई दिल्ली। कांग्रेस और शिव सेना सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के भारी हंगामे के बीच, राज्यसभा की बैठक निर्धारित तिथि से एक दिन पहले ही बृहस्पतिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। हंगामे के कारण सभापति एम वेंकैया नायडू अपना पारंपरिक समापन संबोधन भी नहीं दे सके। आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखे जाने के बाद सभापति नायडू ने सभी सदस्यों को अवगत कराया कि आज बजट सत्र का आखिरी दिन है और वह कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने जा रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि इस वजह से वह कोई भी नोटिस स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इसी दौरान, शिव सेना के सदस्यों ने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए एकत्रित की गई निधि में कथित अनियमितता को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया और उनके बेटे नील के खिलाफ मुंबई पुलिस की ओर से दर्ज किए गए धोखाधड़ी का मामला उठाना चाहा। 

कांग्रेस के सदस्यों ने भी इस मुद्दे पर शिव सेना का साथ दिया। सभापति ने हालांकि सदस्यों को इस मामले को उठाने की अनुमति नहीं दी। लिहाजा, विपक्षी सदस्यों ने हंगामा आरंभ कर दिया। 

सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि वह इस मामले को जहां चाहे उठा सकते हैं लेकिन सदन में नहीं क्योंकि उन्होंने अनुमति नहीं दी है। 

इसके बाद उन्होंने शून्यकाल आरंभ कराया और इसके तहत तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन से उनका मुद्दा उठाने के लिए कहा। हंगामे के बीच ही डेरेक ने सामाजिक सद्भाव के विषय से जुड़ा एक मुद्दा उठाया। वह अभी अपना मुद्दा ही उठा ही रहे थे कि शिव सेना के सं राउत ने उन्हें टोकते हुए कहा कि वह उससे भी महत्वपूर्ण मुद्दा उठा रहे हैं। इसके बाद डेरेक अपनी सीट पर बैठ गए लेकिन सभापति ने उनसे कहा कि राउत जो विषय उठाना चाह रहे हैं, उसकी अनुमति उन्होंने नहीं दी है। इसके बाद शिव सेना और कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य ने हंगामा तेज कर दिया और वह सभापति के आसन के निकट आ गए। सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि वे शून्यकाल में अपने मुद्दे उठाने के लिए उन्हें मजबूर नहीं कर सकते। इसके बाद भी हंगामा जारी रहा।

इस पर सभापति ने कहा, ‘‘सत्र के आखिरी दिन आप देश में यही संदेश देना चाहते हैं... इससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंचेगी।' 

हंगामे के बीच ही भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाया और सरकार से मांग की कि उनके खिलाफ हुए ‘‘जघन्य'' अपराधों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में विशेष जांच दल का गठन किया जाए। इस दौरान सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी था। कुछ सदस्य आसन के समक्ष आ कर नारे लगा रहे थे। 

सभापति ने इन सदस्यों से कहा कि उनके आचरण से गलत संदेश जा रहा है। उन्होंने सदस्यों से बार-बार आग्रह किया कि वे अपने-अपने स्थानों पर लौट जाएं, हंगामा न करें और कार्यवाही को आगे बढ़ने दें। हंगामे के बीच ही समाजवादी पार्टी के विशम्भर प्रसाद निषाद ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने का मुद्दा उठाया। 

नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से बार-बार अनुरोध किया कि वह अपने स्थानों पर लौट जाएं। लेकिन सदस्यों ने उनकी एक ना सुनी। सदस्यों के इस आचरण पर नाखुशी जाहिर करते हुए नायडू ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है...यह नियमों के खिलाफ है...यह सदन की गरिमा के विपरित है। मैं इससे बहुत दुखी हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘सत्र के आखिरी दिन अगर कुछ सदस्य सदन में व्यवधान डालना तय कर चुके है...मैं कुछ नहीं कर सकता।''

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