सौर ऊर्जा के लिए सूरज जरुरी नहीं! वैज्ञानिकों ने पहली बार रात में तैयार कर ली सौर ऊर्जा



सिडनी। आस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने पहली बार सूरज के बगैर सौर ऊर्जा का उत्पादन कर दिया है। आस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बड़ी सफलता हासिल की जिन्होंने रात में सौर ऊर्जा का उत्पादन करने में सफलता हासिल किया। इसके लिए शोधकर्ताओं ने धरती के इंफ्रारेड थर्मल विकिरण का इस्तेमाल कर सोलर पॉवर को हासिल किया।

इन्फ्रारेड थर्मल रेडिएशन मूल रूप से सूरज की ऊर्जा है जो दिन के दौरान धरती को गर्म करती है। दिन में हमारी धरती सूरज की ऊर्जा को अवशोषित करता है जिसे बाद में अंतरिक्ष में वापस भेज देती है। शोधकर्ताओं ने इसके लिए एक खास उपकरण तैयार किया जो इसका दोहन करने में सक्षम था।

रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने थर्मोरेडिएटिव डायोड नामक एक उपकरण का इस्तेमाल किया, जो सौर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए नाइट-विज़न गॉगल्स में मिलने वाली सामग्री जैसी ही चीज से बना हुआ है।

शोध के परिणाम को एसीएस फोटोनिक्स पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि थर्मोरेडिएटिव डायोड से ऊर्जा पैदा हुई है वह सोलर पैनल से मिलने वाली शक्ति से एक लाख गुना कम थी लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रयोग के परिणाम में भविष्य की संभावना के लिए अच्छा संकेत देते हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि भविष्य में सौर ऊर्जा को बड़े पैमाने पर दोहन के लिए इसी तरह के उपकरण का उपयोग किया जा सकता है।

स्टडी को लीड करने वाले प्रोफेसर नेड एकिन्स-डॉक्स के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि स्टडी में थर्मोरेडिएटिव डायोड से बिजली तैयार करने में सफलता मिली है।

उन्होंने कहा "थर्मल इमेजिंग कैमरों के उपयोग से देखा जा सकता है कि रात में कितना विकिरण होता है लेकिन यह दृश्य तरंग के बजाय यह केवल इंफ्रारेड में होता है।

नेड एकिन्स-डॉक्स ने समझाया कि टीम ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जो धरती से उत्सर्जित होने वाले इंफ्रारेड थर्मल विकिरण से बिजली तैयार कर सकता है।

Post a Comment

أحدث أقدم