महिला को मेडिकल टेस्ट से पता चला कि वो 'पुरुष' है, हाईकोर्ट में केस लड़कर हासिल की नौकरी


मुंबई। महिला एक पुरुष थी, लेकिन इस बात से बेखबर वो पुलिस में भर्ती होना चाहती थी। परीक्षा भी पास कर ली उसने लेकिन मेडिकल में 'पुरुष' होने के कारण नहीं मिली नौकरी। इसके बाद महिला ने खटखटाया बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा और हाईकोर्ट ने उसके साथ इंसाफ करते हुए पुलिस विभाग को उसके बहाली का आदेश दिया।

जी हां, पढ़ने के बाद आप भी सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे? लेकिन सच मानिये यही सही है। जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र के पुलिस विभाग में नौकरी के लिए एक महिला ने अप्लाई किया। महिला ने लिखित परीक्षा पास किया और जब नियुक्ति से पहले जब उसका मेडिकल हुआ तो रिपोर्ट देखकर पुलिस अधिकारियों के भी होश उड़ गये।

पुलिस विभाग ने चूंकि नियुक्ति महिलाओं के लिए निकाली थी इसलिए मेडिकल आधार पर उसे 'पुरुष' मानते हुए फोर्स में लेने से मना कर दिया। उसके बाद महिला ने हिम्मत नहीं हारी और वो सीधे पहुंच गई बॉम्बे हाईकोर्ट।

वहां पर उसने एक याचिका दायर करते हुए कोर्ट को बताया कि पुलिस विभाग उसके साथ पक्षपात कर रहा है और उसे जानकारी नहीं थी कि वो पुरुष है। इस मामले में उसकी कोई भूल नहीं है बल्कि यह एक शारीरिक संरचना है, जिसके लिए वो कहीं से भी जिम्मेदार नहीं है। अतः कोर्ट मामले में इंसाफ करे और पुलिस विभाग को उसकी बहाली का आदेश दे।

मामले में सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट महाराष्ट्र पुलिस को आदेश दिया है कि वो युवती की नियुक्ति दो महीने के भीतर करके कोर्ट को सूचित करे। मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस माधव जामदार की बेंच ने कहा कि पुलिस विभाग महिला के साथ सहानभूतिपूर्वक व्यवहार करे और उसकी नियुक्ति करके कोर्ट के आदेश का पालन करे।

इस संबंध में पुलिस विभाग की ओर से पेश हुए महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी ने हाईकोर्ट से कहा कि द्वारा अदालत को बताया कि राज्य सरकार मामले में सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण रखने हुए महिला को पुलिस विभाग में नियुक्त करने के कोर्ट के फैसला का स्वागत करती है, लेकिन उसे "गैर-कांस्टेबुलरी पोस्ट" पर नियुक्त किया जाएगा।

एडवोकेट जनरल कुंभकोनी ने कहा कि नासिक के स्पेशल आईजी पुलिस महिला की योग्यता को ध्यान में रखते हुए स्टेट होम मिनिस्ट्री के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को इस संबंध में सिफारिश भेजेंगे। अपने फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच मे कहा कि याचिकाकर्ता महिला के लिए पुलिस विभाग की सभी सेवा शर्तें और लाभ अन्य कर्मचारियों के समान होंगे, जिन मानकों पर महिला की लिखित परीक्षा प्रक्रिया के तहत भर्ती किया जाना था।

इसके साथ बेंच ने महाराष्ट्र राज्य के उस अपील को मान लिया, जिसमें स्टेट ने महिला की नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने के लिए दो महीने का समय मांगा है। बेंच इस संबंध में आदेश पारित करते हुए कहा, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण मामला है। इसमें याचिकाकर्ता में कोई दोष नहीं है क्योंकि उसे इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि वो महिला न होकर मेडिकली एक पुरुष है।"

बेंच ने 23 साल की उस महिला की याचिका पर यह आदेश दिया है, जिसने उसने साल 2018 में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा निकाली गई भर्ती में अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के तहत नासिक ग्रामीण पुलिस भर्ती के लिए आवेदन किया था। महिला ने लिखित पीरक्षा पास की थी और उसके अलावा फिटनेस टेस्ट भी उसने पास कर लिया था।

हालांकि, लिखित और फिटनेस के बाद हुए मेडिकल जांच से पता चला कि वो दिखने में महिला तो है लेकिन उसके शरीर में न गर्भाशय और न ही नहीं है। इस तथ्य के बाद महिला का एक दूसरा टेस्ट भी हुआ, जिसमें पता चला कि उसके शरीर में पुरुष और महिला दोनों गुणसूत्र हैं और मेडिकल रिपोर्ट में पता चला कि दरअसल वो महिला न होकर एक पुरुष है। 

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