उत्तर प्रदेश : अगले लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटी कांग्रेस ब्राह्मणों को साधने की कोशिश में


नई दिल्ली। अगले लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटी कांग्रेस ने ब्राह्मणों को साधने की कोशिश शुरू कर दी है। पार्टी ने बसपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री नकुल दुबे को अपने पाले में ले लिया। अगले कुछ महीनों में कांग्रेस यूपी में बड़ा अभियान चलाने वाली है और कई बड़े चेहरों को अपने साथ लाने की कोशिश में है।

नकुल दुबे मायावती के सोशल इंजीनियरिंग का अहम हिस्सा रहे और यूपी में बसपा के कद्दावर ब्राह्मण चेहरा माने जाते रहे हैं। कहा जाता है कि 2007 में बसपा की सरकार बनवाने में उनकी काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पार्टी के एक नेता का कहना है कि कांग्रेस ने नकुल दुबे को साथ लाकर यूपी के ब्राह्मणों में एक संदेश देने का काम किया है कि ब्राह्मण वर्ग के लिए कांग्रेस सबसे मुफीद पार्टी है। आने वाले दिनों में ऐसे कई नेताओं को पार्टी अपने पाले में लाने की कोशिश में है। इसके लिए संगठनात्मक स्तर पर भी रणनीतिक बदलाव की तैयारी बताई जा रही है। 

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर कोई बड़ा ब्राह्मण चेहरा लाने पर विचार कर रही है। पार्टी के एक रणनीतिकार का कहना है कि योगी सरकार में अभी भी ब्राह्मणों की अनदेखी हो रही है। विधानसभा चुनाव के वक्त समाजवादी पार्टी ब्राह्मणों के लिए विकल्प नहीं बन पाई। उनकी नाराजगी का ही नतीजा रहा कि कुछ चरणों में मतदान प्रतिशत गिरा था।
 
कानपुर के बिकरू कांड के बाद से ब्राह्मणों की सरकार और सत्ता से बढ़ती नाराजगी का फायदा कांग्रेस विधानसभा चुनाव में नहीं उठा सकी, लेकिन अब 2024 के लोकसभा चुनाव में इसे भुनाने की जुगत में है। इसके लिए नकुल दुबे जैसे नेता से उसे काफी मदद की उम्मीद है। पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल होने से पहले दुबे ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की। इसके बाद कांग्रेस मुख्यालय में हुई एक प्रेस कान्फ्रेंस में पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने दुबे को पार्टी में शामिल कराया। दुबे की यह ज्वाइनिंग ऐसे वक्त में हुई है, जब कांग्रेस से नेताओं के लगातार इस्तीफे हो रहे हैं। बीते पांच महीने में कांग्रेस के पांच से ज्यादा कद्दावर नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ा है। बुधवार को वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस को अलविदा कहा है। ऐसे में जब नकुल दुबे कांग्रेस ज्वाइन करते हैं तो पार्टी यह जताने की कोशिश करती दिखती है कि उसके नेता जा ही नहीं रहे हैं, दूसरे दलों से नेता उसके खेमे में आ भी रहे हैं।

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