नई दिल्ली। 1980 में भाजपा के गठन के साथ ही पार्टी लगातार दक्षिण भारत में जनाधार बढ़ाने की कवायद में लगी हुई है। राजनीतिक ताकत के लिहाज से देखा जाए तो 2014 के बाद भाजपा छत्तीसगढ़, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब और दक्षिण भारत के राज्यों के विधानसभा चुनाव को छोड़कर अन्य राज्यों में लगातार जीत हासिल कर रही है। लेकिन भाजपा की सबसे बड़ी चिंता दक्षिण भारत है। पिछले कुछ दशकों में कर्नाटक दक्षिण भारत का एकमात्र राज्य रहा है जहां भाजपा ने जीत हासिल करना शुरू किया और आज भी वहां भाजपा की ही सरकार है। केंद्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी में भी भाजपा सरकार में शामिल है। पार्टी की तमाम कोशिशों के बावजूद केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु उसके लिए अभी भी अभेद्य किले बने हुए है।
दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक और तेलंगाना में अगले वर्ष यानि 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं वहीं केरल और तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा का चुनाव होना है। अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पार्टी के मिशन दक्षिण भारत को लेकर विशेष योजना तैयार की थी, जिसे वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा भी जमीनी धरातल पर उतारने में लगे हुए हैं। सबसे खास बात यह है कि भाजपा के मिशन दक्षिण भारत को कामयाब बनाने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और अमित शाह ने स्वयं मोर्चा संभाल लिया है।
कर्नाटक के बाद अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को तेलंगाना से काफी उम्मीदें हैं इसलिए भाजपा ने तेलंगाना में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष राज्य में पार्टी संगठन को लगातार मजबूत करने के प्रयासों की निगरानी कर रहे हैं।
तेलंगाना में भाजपा का जनाधार बढ़ाने के लिए 26 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं राज्य का दौरा किया। हैदराबाद में रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने राज्य की टीआरएस सरकार और मुख्यमंत्री पर परिवारवाद और अंधविश्वास को लेकर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि जहां से परिवारवादी पार्टियां साफ हो जाती है, वहां तेजी से विकास होता है। उन्होने परिवारवादी पार्टियों को लोकतंत्र का दुश्मन बताते हुए आरोप लगाया कि परिवारवाद युवाओं से मौके छीन लेता है, युवाओं के सपनों को कुचल देता है क्योंकि परिवारवादी पार्टियां सिर्फ अपनी ही तिजोरियां भरती हैं और प्रदेश का कभी भला नहीं कर सकती है। तेलंगाना राज्य के गठन के लिए दशकों तक चले आंदोलन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आंदोलन एक परिवार के भले के लिए नहीं बल्कि तेलंगाना के भविष्य़ के लिए था, तेलंगाना की आन-बान-शान के लिए था। प्रधानमंत्री मोदी ने 26 मई को ही तमिलनाडु के चेन्नई जाकर भी अपने इरादे साफ कर दिए।
केरल और तमिलनाडु में भले ही 2026 में विधान सभा चुनाव होने हैं लेकिन इससे पहले 2024 के लोक सभा चुनाव में ही पार्टी इन दोनों राज्यों में भी अपना दम-खम साबित कर मतदाताओं को भाजपा के उभार का संकेत भी देना चाहती है। केरल के वायनाड से ही राहुल गांधी लोक सभा सांसद है इसलिए केरल में पार्टी के जनाधार को बढ़ाकर भाजपा राज्य की लेफ्ट फ्रंट की सरकार के साथ-साथ राहुल गांधी को भी घेरना चाहती है। अमेठी में राहुल गांधी को लोक सभा चुनाव में हराने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने हाल ही में वायनाड का दौरा भी किया था।
दक्षिण भारत के पांच राज्यों आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल और कर्नाटक 129 सांसद चुनकर लोक सभा में भेजते हैं। 2024 के लोक सभा चुनाव में ये पांचों राज्य सरकार बनाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं इसलिए भी इन राज्यों में जनाधार बढ़ाना भाजपा के लिए बहुत जरूरी बन गया है। इसे लेकर भी पार्टी दक्षिण भारत में काफी मेहनत कर रही है। देशभर के 73 हजार कमजोर बूथों पर पार्टी को मजबूत करने और जनाधार बढ़ाने के कार्यक्रमों में भी दक्षिण भारत के इन राज्यों पर खासा ध्यान दिया जा रहा है।
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