सामाजिक समानता के लिए जातीय जनगणना होनी चाहिए : शरद पवार


मुंबई। जातीय जनगणना का मुद्दा गहराता जा रहा है। ऐसा लग रहा है अस्सी और नब्बे के दशक की राजनीति फिर करवट ले रही है। बिहार से फैली जातीय जनगणना की आग अब महाराष्ट्र भी पहुंच गई है। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एसीपी) के मुखिया शरद पवार ने भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरह मांग की है कि सामाजिक समानता और न्याय के सिद्धांत को और मजबूत बनाने के लिए देश में जातीय जनगणना अवश्य होनी चाहिए।

शरद पवार ने जातीय गनगणनाी के मुद्दे पर यह बात एनसीपी की ओबीसी विंग की बैठक को संबोधित करते हुए कहा। पवार ने कहा कि देश में हर किसी को समान अधिकार मिलना चाहिए और भारत का संविधान इसी समाजिक समरसता को बढ़ावा देने की बात करता है।

महाराष्ट्र में शिवसोना और कांग्रेस के साथ मिलकर महाविकास आघाडी की सरकार बनवाने वाले पवार ने इस मसले पर केंद्र को निशाना बनाया और कहा, "हम किसी से मुफ्त में कुछ नहीं मांग रहे हैं। हमारा बस इतना कहना है कि जाति के आधार पर जनगणना करने के अलावा अब देश के सामने और कोई विकल्प नहीं है।"

इसके साथ ही शरद पवार ने यह भी कहा कि संविधान द्वारा दिए गए आरक्षण से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को फायदा हुआ है और अब अन्य पिछड़ा वर्ग को भी विकास के लिए इस तरह की रियायत की दरकार है और ये एक वाजिब मांग है, जिससे कोई इनकार नहीं कर सकता है।

पवार ने कहा, "एबीसी को रियायत देने के लिए सरकार को पहले उनकी सही जनसंख्या का पता लगाना होगा, इसलिए एनसीपी जातीय जनगणना के पक्ष में मजबूती से खड़ी है।"

एनसीपी प्रमुख ने जातीय जनगणना के मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मांग का समर्थन करते हुए कहा, "नीतीश कुमार बिहार में इसके लिए अच्छी पहल कर रहे हैं और मैं इसका स्वागत करता हूं लेकिन राज्य में उनकी पार्टी भाजपा ही जातीय जनगणना के मुद्दे पर विरोध कर रही है, जिससे पता चलता है कि इस मुद्दे पर भाजपा की मानसिकता ओबीसी को न्याय देने की नहीं है।"

ओबीसी के राजनीतिक कोटा पर मौजूदा महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करने के लिए भाजपा पर हमला करते हुए शरद पवार ने कहा, "भाजपा साल 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र में सत्ता में रही केंद्र में 2014 से वही शासन कर रही है, तब क्या भाजपा इस मुद्दजे से बेखबर होकर सो रही थी?"

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में महाराष्ट्र की स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की बहाली की सिफारिश करने वाली राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अंतरिम रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। 

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