निकिल, क्रोमियम, पोटाश और कोयला का भंडार भी मिला
पटना। बिहार में सोने की लंका जैसा स्वर्ण भंडार मौजूद है ! सोने के अलावा निकिल, क्रोमियम, पोटाश और कोयला के भी भंडार है। जमुई में सोना, औरंगाबाद में निकिल और क्रोमियम, गया में पोटाश और भागलपुर में कोयला के बड़े भंडार का पता चला है। वहीं सोने का भंडार मिलने से जमुई की चर्चा ज्यादा है।
देश के सबसे बड़ा स्वर्ण भंडार इसी जिला में मौजूद है और अब इसे खोजने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी। जमुई का करमटिया, सोनो प्रखंड अंतर्गत आने वाला एक सामान्य निर्जन, वीरान व सुनसान टांड़ है। लेकिन यहां सोने का वो भंडार मौजूद है जो इसे खास बनाता है।
सूत्रों के अनुसार भागलपुर के पीरपैंती और कहलगांव के आसपास मौजूद कोयले का ग्रेड जी-12 उपलब्ध है। यहां करीब 850 मिलियन टन कोयले के भंडार का अनुमान है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा दो चरणों का सर्वेक्षण कराये जाने के बाद जमुई जिले के मंजोष गांव में लौह अयस्क के पर्याप्त भंडार मिलने के संकेत मिले हैं।
दो चरणों के सर्वे में प्रचुर मात्रा में सर्वोच्च क्वालिटी का लौह अयस्क माना जाने वाला मैग्नेटाइट का भंडार मिलने की पुष्टि होने के बाद केंद्र सरकार की ओर से तीसरे चरण के सर्वे का कार्य शुरू किया गया है। इसके साथ ही खुदाई में सफेद संगमरमर जैसे पत्थर मिले हैं, जो दिखने में बिल्कुल ही चमकदार और घरों के फर्श पर लगाये जाने वाले संगमरमर की तरह ही प्रतीत हो रहे हैं। जल्द ही इनके विभिन्न पहलुओं की जांच कर लौह अयस्क मैग्नेटाइट के खनन की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी।
उल्लेखनीय है कि जमुई जिले में डेढ दशक पहले स्वर्ण भंडार को लेकर खनन कार्य हुआ था। प्रारंभिक सर्वेक्षण में अयस्क में स्वर्ण धातु की मात्रा काफी कम पाई गई थी। इससे यह काफी खर्चीला और महंगा सौदा माना गया। इसीलिए बाद में कार्रवाई रोक दी गई लेकिन अब माना जा रहा है कि बेहतर तकनीकी के कारण स्वर्ण खनन सस्ता हो सकता है।
जानकारों के अनुसार जमुई जिले में करमाटिया, झाझा और सोनो में भारी मात्रा में खनिज होने के संकेत कई सालों से मिलते आ रहे हैं। इस दिशा में राज्य का खान और भूविज्ञान विभाग जमुई में सोने के भंडार की खोज के लिए जीएसआई और राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) सहित अन्वेषण में लगी एजेंसियों के साथ परामर्श कर रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार आज से लगभग 15-16 साल पहले कोलाकाता से भी एक टीम आई थी, जिसने करमटिया में सोना होने की बात कही थी। इसके बाद कई जांच टीमें पहुंची और इस पर मुहर लगी कि वास्तव में जमुई जिले में सोने का बडा श्रोत है। ग्रामीणों की मानें तो करमटिया करीब पौने तीन सौ एकड़ में फैला हुआ है।
यह टांड़ पथरीला व लाल मिट्टी वाला है और इसका अधिकांश भाग बंजर जैसा ही है। यहां झाड़ियां व खजूर के पेड की अधिकता है। बताया जाता है कि पहले यहां खेती होती थी, लेकिन 1982 में इसे सरकार द्वारा सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया। जिसके बाद कई जगहों पर जांच हेतु खुदाई हुई और अधिकांश वैसे जगह जहां उस वक्त खुदाई हुई थी, वो आज भी वीरान पड़ा है।
बेहद वीरान, लाल और पथरीली भूमि वाला करमटिया में अकूत सोना है लेकिन उसके बाद भी आज यह इलाका सामान्य व शांत है। चार दशक पूर्व चरवाहों व ग्रामीणों को स्वर्ण कण मिला था। उस जगह ग्रामीणों की खुदाई से बने गड्ढे काफ़ी हद तक भर गए थे। जिस जगह पर सोना के कण तब पाए गये थे, वहां की मिट्टी सामान्य से अलग दिखने को मिलती है।
यहीं से तब मिट्टी के नमूने जांच के लिए लिये गये थे। लाल रंग के इस मिट्टी में एक खास चमक स्पष्ट दिखता है। असामान्य और लाल रंग की मिट्टी होने के कारण ही इस क्षेत्र को करमटिया के बदले अब ललमटिया कहा जाने लगा। यहां सोना पाए जाने के बाद से इसे सोनमटिया भी कहने लगे।
ग्रामीण बताते हैं कि साल 1982 में जमुई के बेचिरागी गांव की बंजर भूमि में सोना पाए जाने की खबर सामने आई थी। कहा जाता है कि पांच से दस फीट की खुदाई पर ही लोगों को स्वर्ण कण मिलने लगे थे। यह खबर जब प्रशासनिक महकमे को पहुंची तो आनन-फानन में करमटिया को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया गया। 1982-1986 तक भूतलवेत्ताओं के निर्देश पर करमटिया में खुदाई का कार्य युद्धस्तर पर चला, लेकिन अचानक कार्य बंद कर दिया गया।
देश का 44 प्रतिशत सोना यहां मौजूद है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के सर्वेक्षण के अनुसार, जमुई में 37.6 टन खनिज युक्त अयस्क सहित लगभग 222.88 मिलियन टन सोने का भंडार मौजूद है, जो देश के सोने का 44 प्रतिशत है।
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