भारत में गेंहू की कमी के चलते महंगाई कर सकती है गरीबी में आटा गीला



नई दिल्ली। भारत ने गेंहू की कमी के चलते इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार देश में गेंहू का स्टॉक 2022-23 में कम हो सकता है और 2016-17 के सबसे निचले स्तर पर पहुंच सकता है। पिछले 13 सालों में यह अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच सकता है। सरकार की ओर से भी पिछले 15 सालों में गेंहू की खरीद सबसे कम की गई है। भारत की ओर से गेंहू के निर्यात को यह कहते हुए प्रतिबंधित कर दिया गया कि भारत में खाद्य सुरक्षा को इससे जोखिम हो सकता है।

खाद्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि आम जनों के लिए गेंहू की आपूर्ति के लिए पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। लेकिन मार्च माह में लंबे समय तक गर्मी की वजह से उत्पादन पर इसका असर पड़ा है, जिसके चलते गेंहू के निर्यात को रोका गया है ताकि सर्दियों में इसके भंडारण को पर्याप्त मात्रा में किया जा सके। दरअसल, देश में लगातार बढ़ती महंगाई के बीच सरकार ने यह फैसला लिया है। देश में महंगाई दर 7.79 फीसदी तक पहुंच गया है, जबकि खाद्य महंगाई दर 8.38 फीसदी तक पहुंच गई है। अनाज महंगाई दर तकरीबन 6 फीसदी तक पहुंच गई है।

गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि आखिर जब गेंहू की किल्लत थी तो इसके निर्यात को रोकने में इतनी देरी क्यों की गई। सवाल यह भी खड़ा हो रहा कि क्या दुनिया के कई देशों को गेहूं के निर्यात में जल्दबाजी की गई। अब जब इसके निर्यात पर पाबंदी लगा दी गई है तो इससे किसानों को कितना नुकसान होगा। जनवरी 2010 में आटे के दाम की बात करें तो यह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। उपभोक्ता मंत्रालय का कहना है कि 9 मई को देश में आटे के दाम 32.91 रुपए तक पहुंच गए। यानि एक साल के भीतर आटे के दाम में 4 रुपए प्रति किलो की बढ़ोत्तरी हो गई।

कई शहरों में तो आटा 50 रुपए प्रति से अधिक दाम पर बिक रहा है। आटे के दाम की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए गेहूं के निर्यात पर पाबंदी लगाई गई है। लेकिन सरकार के इस फैसले पर पंजाब और हरियाणा के किसान सवाल खड़ा कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सूखा पड़ने से उनके दाने का आकार छोटा रहा और फसल भी कम हुई। ऐसे में निर्यात पर प्रतिबंध से उन्हें और नुकसान होगा। किसानों का दावा है कि उन्हें 400 रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है। सरकार का अनुमान था कि इस साल 111 मिलियन टन से ज्यादा गेहूं का उत्पादन होगा, लेकिन यह सिर्फ 104 मिलियन टन ही रहा।

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