जंगल के राजा शेर को हुआ मोतियाबिंद, डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर लौटाई आखों की रोशनी


जूनागढ़। सक्करबाग चिड़ियाघर में कैद जंगल का राजा शेर अपनी दोनों आखों की रोशनी खोकर केवल आवाज के सहारे जिंदगी काट रहा था। चिड़ियाघर के कर्मचारियों को इस बात का एहसास तब हुआ, जब वो उसे खाना देने के लिए सामने जाते तो वो कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देता था।

शुरू में तो कर्मचारियों को लगा कि शेर की तबियत ठीक नहीं है या फिर ज्यादा गर्मी के कारण उसके व्यवहार में परिवर्तन आ गया है। लेकिन धीरे-धीरे कर्मचारियों को समझ में आने लगा कि शेर के साथ जरूर कोई अलग ही मसला है क्योंकि वो उनकी आवाज के मुताबिक तो प्रतिक्रिया देता लेकिन नजरों के सामने होने पर भी खामोश रहता।

इसके बाद चिड़ियाघर के कर्मचारियों ने इस मामले की सूचना डॉक्टर को दी। डॉक्टर ने जब शेर का परीक्षण किया तो उन्हें पता चला कि शेर की दोनों आखों में मोतियाबिंद है, जिसके कारण उसकी कार्निया से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। मामले की गंभीरता को समझते हुए चिड़ियाघर प्रशासन ने परामर्श के लिए डॉक्टर संजय जाविया को बुलाया। जिन्होंने शेर को बेहोश करके उसकी दोनों आंखों का सफल ऑपरेशन किया और उसकी दोनों आखों में लेंस फिट कर दिया।

बब्बर शेर की आंखों की ऑपरेशन करने वाले डॉ. संजय जाविया ने बताया कि शेर की आंखों में लेंस लगाने में उन्हें काफी दिक्कत आई लेकिन काफी सावधानी से उन्होंने शेर की आखों में लेंस को फिट कर दिया। उन्होंने बताया कि शेर को लेंस लगाने पहले उसकी दोनों की आंखों की बाकायदा जांच की गई और उसके हिसाब से आंखों का लेंस तैयार किया गया। उसके बाद एक-एक करके दोनों आखों में लेंस को फिट किया गया।

ऑपरेशन के कुछ दिनों के बाद शेर की आंखों का फिर से परीक्षण किया, जिसमें डॉ. संजय जाविया ने पाया कि शेर को एक बार फिर से सारी दुनियां दिखाई देने लगी है। चिड़ियाघर के कर्मचारी फिलहाल शेर का विशेष ध्यान रख रहे हैं।

मालूम हो कि जूनागढ़ के सक्करबाग चिड़ियाघर में यह पहला मामला था कि जब किसी शेर को अपनी आंखों से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन चिड़ियाघर के कर्मचारियों की सूझबूझ और डॉ. संजय जाविया के सफल प्रयास से शेर की आंख की रोशनी फिर से वापस आ गई है और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य है और आराम से अपनी जिंदगी बिता रहा है। 

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