सफल इलाज : क्रोनिक पैंक्रिएटाइटिस से पीड़ित बच्‍चे की जटिल लैप्रोस्‍कोपिक सर्जरी


नई दिल्ली। पेट दर्द के एक दुर्लभ मामले में दिल्ली के एक निजी अस्पताल में ‘क्रॉनिक पैंक्रिएटाइटिस’ से पीड़ित सात साल के एक बच्‍चे की सफल जटिल लैप्रोस्‍कोपिक सर्जरी की गयी है। देश में यह अपनी तरह की पहली और विश्व में चार -पांच में एक है।

सात वर्षीय यह बालक कई वर्षों से दर्द से पीड़ित होने के कारण कुपोषित और मात्र 17 किलोग्राम का है। साधारण तौर यह बीमारी वयस्कों में अत्यधिक शराब पीने और ध्रूमपान करने से हाेती है। लेकिन इस बच्चे में यह बीमारी आनुवांशिक कारणों से हुई है। ‘क्रॉनिक पैंक्रिएटाइटिस’ से पीड़ित होने से पेट में तेज दर्द होता है और सर्जरी ही एकमात्र इलाज है। इससे कई बार व्यक्ति मधुमेह और पीलिया से भी पीड़ित हो जाता है। यह बच्चा पीलिया से पीड़ित हो गया था। बच्‍चे के पैंक्रियाज में कई स्‍टोन्‍स होने के कारण उसे पेट में तेज दर्द की शिकायत थी। बाइल डक्‍ट सिकुड़ने से बाइल का प्रवाह बाधित हो गया था। इससे उसकी स्थिति गंभीर थी।

सीके बिरला अस्पताल में ‘ऐडवांस्‍ड सर्जिकल साइंसेस ऐंड ऑन्‍कोलॉजी सर्जरी विभाग के डॉ. अमित जावेद ने बताया कि विस्तृत जाँच के बाद इस बच्‍चे का इलाज न्‍यूनतम चीर-फाड़ वाली विधि से किया, जिससे उसे कम दर्द हुआ और वह जल्‍दी ठीक भी हो गया। 

उन्होंने बताया कि इस बच्‍चे का वजन काफी कम था और दूसरे अस्‍पतालों ने उसकी सर्जरी करने से मना कर दिया था। पैंक्रियाज में कई स्‍टोन्‍स और बाइल डक्‍ट ऑब्‍स्‍ट्रक्‍शन से पीड़ित होने के बावजूद वह बच्‍चा अब एक सामान्‍य और स्‍वस्‍थ जीवन जी रहा है। इसके अलावा, उस पर सर्जरी के कोई निशान भी नहीं रहेंगे।

डाॅ. जावेद ने कहा कि बच्‍चों में क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस का सर्जरी से इलाज करना चुनौतीपूर्ण है और खासकर इसके लिये लैप्रोस्‍कोपिक सर्जरी तो दुनियाभर में बहुत कम हुई है। यह बच्चा भारत में क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस और बाइल डक्‍ट ऑब्‍स्‍ट्रक्‍शन के संभवत: सबसे छोटा मरीज है।

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