नई दिल्ली। राज्यसभा चुनाव में क्रास वोटिंग के डर ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। राजस्थान में अपने विधायकों की बाड़ेबंदी करने के साथ हरियाणा में भी विधायकों पर नजर रखी जा रही है। विधायकों की निगरानी के लिए पार्टी ने मल्लिकार्जुन खडग़े, भूपेश बघेल, राजीव शुक्ला, टी.एस. सिंहदेव और पवन कुमार बंसल को अलग-अलग राज्यों में पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।
पार्टी की ओर दी गई आधिकारिक जानकारी के मुताबिक खड़गे को महाराष्ट्र, बघेल और राजीव शुक्ला को हरियाणा तथा पवन कुमार बंसल और टी एस सिंह देव को राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया गया है। पर्यवेक्षकों का काम पार्टी के विधायकों की निगरानी करना है। कांग्रेस यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि उसके उम्मीदवार हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव जीते।
हरियाणा के दो निर्दलीय राज्यसभा उम्मीदवारों को भाजपा का समर्थन
भाजपा हरियाणा और राजस्थान में निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन कर कांग्रेस को शिकस्त देने की रणनीति पर काम कर रही है। राज्यसभा की 57 रिक्तियों में से अब तक 11 राज्यों में 41 उम्मीदवार निॢवरोध चुने जा चुके हैं। चार राज्यों-महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक की 16 सीट के लिए 10 जून को चुनाव होगा।
हरियाणा में 2016 के दोहराव का डर
कांग्रेस ने पार्टी महासचिव अजय माकन को हरियाणा से पार्टी उम्मीदवार बनाया है। हरियाणा में दो सीट खाली हुई हैं। कांग्रेस और भाजपा को एक-एक सीट मिलने की संभावना है, लेकिन भाजपा ने निर्दलीय के रूप में मीडिया कारोबारी कार्तिकेय शर्मा का समर्थन किया है। कार्तिकेय शर्मा, विनोद शर्मा के बेटे और हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप शर्मा के दामाद हैं। दोनों को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी माना जाता है। कांग्रेस को सीट जीतने के लिए 31 मतों की जरूरत है और उसके पास इतने ही विधायक हैं। भाजपा क्रॉस वोटिंग होने की स्थिति में फायदा उठा सकती है, जैसा कि 2016 में हुआ था। 2016 में कांग्रेस के 14 विधायकों का वोट निर्धारित रंग की स्याही वाले कलम का इस्तेमाल नहीं करने से अमान्य कर दिया गया था और भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा आठ वोटों से जीत गए थे। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं की साठगांठ से ही चंद्रा चुनाव जीते थे। इस बार कांग्रेस ऐसी गलती नहीं होने देना चाहती। यही कारण है कि कांग्रेस ने हरियाणा के अपने विधायकों को छत्तीसगढ़ के रायपुर के एक रिसॉर्ट में ले जाकर रख रखा है। पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाए जाने से कुलदीप विश्नोई पहले ही नाराज हैं।
राजस्थान : विधायकों की नाराजगी बनी मुसीबत
राजस्थान की चार राज्यसभा सीट के लिए कांग्रेस ने तीन उम्मीदवार- रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस तीन सीट और भाजपा अपनी एक सीट की उम्मीद कर रही है। राज्य विधानसभा में अपने 108 विधायकों के साथ कांग्रेस दो सीट आसानी से जीत सकती है। दो सीट जीतने के बाद, पार्टी के पास 26 अतिरिक्त मत होंगे यानी कि प्रमोद तिवारी की तीसरी सीट जीतने के लिए आवश्यक 41 से 15 और मतों की जरूरत होगी। भाजपा ने पूर्व मंत्री घनश्याम तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा के पास राज्य विधानसभा में 71 विधायक हैं, जिससे उसकी एक सीट तो पक्की है। उसके बाद उसके पास 30 अतिरिक्त मत बचेंगे। इसी मत के आधार पर भाजपा ने चौथी सीट के लिए निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को समर्थन देकर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है। चंद्रा पिछली बार हरियाणा से राज्यसभा चुनाव लड़े थे और कांग्रेस में भीतरघात करवा दिया था। इस बार राजस्थान में कहीं वे ऐसा कोई खेल न कर दें, इस डर से पार्टी ने अपने 70 विधायकों को उदयपुर के एक होटल में ले जाकर ठहरा रखा है। सचिन पायलट गुट के साथ अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कई करीबी विधायक और मंत्री भी उनसे नाराज चल रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस पूरी सावधानी बरत रही है।
महाराष्ट्र में, शिवसेना और भाजपा के बीच राज्यसभा की छठी सीट के लिए मुकाबला होगा क्योंकि सात उम्मीदवारों में सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के चार और भाजपा के तीन उम्मीदवार में से, किसी ने भी शुक्रवार को अपना नामांकन वापस नहीं लिया। कांग्रेस ने कर्नाटक में एक और उम्मीदवार मंसूर अली खान को भी मैदान में उतारा है, जहां चार सीट के लिए चुनाव होना है। जयराम रमेश कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार हैं।
एक टिप्पणी भेजें