नई दिल्ली। कुछ लोगों के लिए तीन सौ रुपये की ज्यादा अहमियत नहीं होती, वे इसे एक फिल्म के टिकट, कॉफी, सप्ताहभर की सब्जी या किसी ढाबे में परिवार के साथ खाना खाकर खर्च कर सकते हैं। मगर भारत में हजारों लोग ऐसे हैं जिनकी एक महीने की पेंशन मात्र तीन सौ रुपये है। इसमें पिछली बार 2012 में वृद्धि की गई थी जब इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय दिव्यांग पेंशन योजना के तहत पेंशन की राशि 200 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये प्रति माह कर दी गई थी। दस वर्ष बाद लोग अपनी पेंशन में वृद्धि की आस लगाए बैठे हैं।
सरकार, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों के लिए राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रमों (एनएसएपी) के तहत विभिन्न पेंशन योजनाओं का क्रियान्वयन करती है। कई लाभार्थियों के लिए पेंशन में थोड़ी सी बढ़ोतरी भी स्वागतयोग्य है, भले ही वह महंगाई को देखते हुए अपर्याप्त हो। पिछले 10 साल से बिस्तर पर पड़ी, लकवाग्रस्त हिरी देवी (65) को दिव्यांग पेंशन योजना के तहत 300 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं।
मध्य प्रदेश स्थित कार्यकर्ता चंद्र शेखर गौर की ओर से दायर आरटीआई पर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जवाब दिया कि राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत पेंशन की राशि में बदलाव का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।
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