सुप्रीम कोर्ट : ऑल्ट न्यूज के जुबैर को राहत, यूपी पुलिस को 5 एफआईआर पर जल्दबाजी में कोई कार्य न करने के निर्देश


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की उस अर्जी पर 20 जुलाई को सुनवाई करेगा, जिसमें कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। 

शीर्ष अदालत ने जुबैर को राहत देते हुए निर्देश दिया कि इस बीच जुबैर के खिलाफ जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाया जाए। सुप्रीमकोर्ट ने जुबैर को 5 मामलों में संरक्षण दिया है और यूपी पुलिस को राज्य में 5 एफआईआर पर कार्रवाई नहीं करने के आदेश दिया है।

मामले में सुप्रीमकोर्ट ने सख्‍त टिप्‍पणी करते हुए कहा है कि जुबैर को जब एक मामले में अंतरिम जमानत मिलती है लेकिन किसी और मामले में गिरफ्तार हो जाता है। कोर्ट ने कहा कि हम बुधवार को अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करेंगे तब तक उनके खिलाफ कोई आक्रामक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी एफआईआर की सामग्री एक जैसी लगती है। जिस क्षण उसे दिल्ली और सीतापुर में जमानत मिली, वह एक अन्य मामले में गिरफ्तार हो गया... यह दुष्चक्र परेशान करने वाला है। जुबैर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को नोटिस जारी किया है, साथ ही सॉलिसिटर जनरल को मामले में सहायता करने के लिए कहा है।
 
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने जुबैर की तरफ से पेश वकील द्वारा अर्जी का उल्लेख किए जाने पर मामले की सुनवाई के बाद यह आदेश सुनाया। कुछ समय तक दलीलें सुनने के बाद पीठ ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को इसे 20 जुलाई को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। 

जुबैर की नयी अर्जी में इन मामलों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन को भी चुनौती दी गई है। अर्जी में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी प्राथमिकी, जिन्हें जांच के लिए एसआईटी को स्थानांतरित किया गया है, वे उस प्राथमिकी का विषय हैं, जिसकी जांच दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा की जा रही है।

क्या कहा जुबैर की वकील ने

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जुबैर की ओर से पेश हुईं वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, ‘जुबैर एक फैक्ट चेकर है, उसे 27 जून को गिरफ्तार किया गया था। अब पूरे यूपी में 6 एफआईआर हो गई हैं, इनमें से कुछ 2021 से पुराने हैं, कुछ में उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया, उसके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर लिए गए । जैसे ही एक मामले में संरक्षण मिला, दूसरे मामले में गिरफ्तार कर लिया, आज हाथरस में 14 दिन का पुलिस रिमांड मांगा जा रहा है। वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इस तरह की टारगेटिंग खत्म होनी चाहिए, यह कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

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