ग्रामीण भारत में जून के महीने में करीब दो प्रतिशत बढ़ी बेरोजगारी : रिपोर्ट


नई दिल्ली। जून के महीने में भारत में बेरोजगारी दर मई में 7.12 प्रतिशत से बढ़कर कुल कार्यबल का 7.8 प्रतिशत हो गई। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी दर में वृद्धि मुख्य रूप से ग्रामीण बेरोजगारी में वृद्धि के कारण हुई। हालांकि, सीएमआईई के अनुमान के मुताबिक, भारत का जून रोजगार पिछले एक साल में सबसे कम है।

मानसून की असमान बारिश के कारण ग्रामीण बेरोजगारी दर में वृद्धि हुई है, जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि श्रमिकों की तैनाती में देरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर मई में 6.62 प्रतिशत से बढ़कर 8.03 प्रतिशत हो गई। दूसरी ओर इसी अवधि के दौरान शहरी बेरोजगारी दर घटकर 7.30 प्रतिशत हो गई, जो एक महीने पहले 8.21 प्रतिशत थी। 

जून में देश में समग्र रोजगार के मामले में यह अप्रैल और मई में 8 मिलियन नौकरियों के लाभ के मुकाबले 13 मिलियन घटकर 390 मिलियन रह गया। सीएमआईई के प्रबंध निदेशक महेश व्यास के अनुसार, बेरोजगारों की संख्या में केवल 30 लाख की वृद्धि हुई, जबकि महीने के दौरान लगभग 13 मिलियन नौकरियां चली गईं क्योंकि बाकी ने श्रम बाजार छोड़ दिया। 

उन्होंने मंगलवार को बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार में प्रकाशित एक लेख में लिखा कि इस सिकुड़न ने श्रम बल की भागीदारी दर को पिछले दो महीनों में 40 प्रतिशत के मुकाबले सबसे कम 38.8 प्रतिशत पर ला दिया। उन्होंने कहा कि रोजगार में यह तेज गिरावट और प्रमुख श्रम बाजार अनुपात में समान रूप से तेज गिरावट चिंताजनक है, लेकिन श्रम बाजार की बिगड़ती स्थिति पूरे देश में व्यापक नहीं है।

व्यास ने आगे कहा कि बारिश सामान्य से 32 प्रतिशत कम दर्ज की गई थी, जो "खेतों में श्रमिकों की तैनाती को धीमा" कर सकती थी। उन्होंने ये भी कहा कि श्रम भागीदारी में सुधार हो सकता है क्योंकि आने वाले हफ्तों में मानसून गति पकड़ता है। जून के महीने में कृषि क्षेत्र में लगभग 8 मिलियन का नुकसान हुआ, जो ज्यादातर वृक्षारोपण से जुड़ा था। हालांकि, फसल की खेती ने 4 मिलियन नौकरियों को जोड़ा, जोकि व्यास के अनुसार, 2020 और 2021 में इसी अवधि की तुलना में कम था।

Post a Comment

أحدث أقدم