सुप्रीम कोर्ट पहुंचा उद्धव ठाकरे गुट , लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को दी चुनौती




नई दिल्ली। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर कर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के नेता राहुल शेवाले को निचले सदन में शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता दी गई है। 

चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ पहले से ही महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रमों से संबंधित ठाकरे गुट द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर एक अगस्त को सुनवाई करने वाली है। 

ताजा याचिका में शिंदे गुट के कहने पर शेवाले को शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता देने के लोकसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती दी गई है। उद्धव गुट ने लोकसभा अध्यक्ष के निर्णय को ‘अवैध' और ‘मनमाना' करार दिया और आरोप लगाया कि लोकसभा में शिवसेना के नेता और उसके मुख्य सचेतक को एकतरफा तरीके से हटा दिया गया था। 

याचिका में कहा गया है, ‘अध्यक्ष ने प्राकृतिक न्याय के बुनियादी नियमों का पालन किए बिना या शिवसेना अथवा याचिकाकर्ताओं से स्पष्टीकरण मांगे बिना नेता और मुख्य सचेतक के पदों में अनुचित परिवर्तन किए, जबकि इस संबंध में उनसे अनुरोध किया गया था।' 

याचिका में कहा गया है कि विनायक राउत और राजन विचारे के नाम क्रमशः लोकसभा में शिवसेना के नेता और मुख्य सचेतक के रूप में दोहराए गए और बिरला को इससे सूचित किया गया था। 

याचिका के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष ने शिंदे गुट द्वारा प्रस्तावित नामों को मंजूरी दे दी। याचिका में कहा गया है कि इस तरह, प्रतिवादी नंबर एक की कार्रवाई स्पष्ट रूप से मनमानी है और संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत सुनिश्चित प्रणाली का सरासर उल्लंघन है। शिवसेना के 19 लोकसभा सांसदों में से 12 सांसदों के समर्थन से शिंदे ने लोकसभा में शेवाले को पार्टी का नेता और भावना गवली को मुख्य सचेतक नामित किया था।

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