गोवा में दोहराई जा सकती महाराष्ट्र की राजनीतिक पटकथा

कांग्रेस के 11 विधायकों में से 10 हो सकते हैं भाजपा में शामिल


पणजी। गोवा में महाराष्ट्र की राजनीतिक पटकथा दोहराने के आसार नजर आ रहें हैं। कांग्रेस के 11 विधायकों में से 10 भाजपा में शामिल हो सकते हैं। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, माइकल लोबो सहित प्रदेश के कई दिग्गज कांग्रेसी भारतीय जनता पार्टी के पाले में जा सकते हैं।

जानकारी के मुताबिक गोवा में कांग्रेस एक बार फिर से टूट सकती है। लगभग 7 से 10 की संख्या में कांग्रेसी विधायक भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में हैं। गोवा की कुल 40 विधानसभा सीटों वाली विथानसभा में कांग्रेस के कुल 11 विधायक हैं।

सूत्रों के अनुसार कांग्रेसी विधायकों का एक बड़ा धड़ा कभी भी भाजपा में शामिल हो सकता है। कांग्रेस के विधायक केवल भाजपा केंद्रीय आलाकमान के हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक किसी भी कांग्रेसी विधायक को भाजपा की ओर से किसी विशेष पद या मंत्री बनाने का वादा नहीं किया गया है, उसके बावजूद वो भाजपा में जाने के लिए तैयार हैं। गोवा के अलावा कोलकाता से भी खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस के विधायक वहां भी बागी हो सकते हैं। कोलकाता से जो जानकारी छनकर आ रही है उसके अनुसार कांग्रेस पार्टी के 3 मौजूदा और 3 पूर्व सांसद सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के संपर्क में हैं।

हालांकि गोवा में कांग्रेस की फूट की बात पर दिबंगर कामत और माइकल लोबो ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस तरह की बातें अफवाह हैं और ये बात पूरी तरह से गलत है कि कांग्रेसी विधायक भाजपा में शामिल होने की योजना बना रहे हैं।

लेकिन सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के कुल 11 विधायकों में से कम से कम 7 और अधिक से अधिक 10 विधायक पलटी मार सकते हैं। जानकारों के मुताबिक कांग्रेस के विधायकों ने सदन की अयोग्यता से बचने के लिए सामूहिक रूप से भाजपा में जाने का फैसला किया है। गोवा में फिलहाल कांग्रेस के पास 11 विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास 20 और एमजीपी के 2 सदस्य और तीन निर्दलीय हैं।

बताया जा रहा है कि कांग्रेसी विधायकों के भाजपा में जाने के मसले पर राज्य भाजपा की इकाई काफी नाराज है। इस कारण से विलय संभन नहीं हो पा रहा है। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर ऐसा माना जा रहा है भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कांग्रेसी विधायकों को भाजपा में शामिल करने के लिए हरी झंडी दे सकता है क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को दक्षिण गोवा सीट पर कांग्रेस से पराजय का सामना करना पड़ा था।

यही कारण है कि गोवा में अपने किले को और मजबूत बनाने के लिए बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व कांग्रेसी विधायकों को अपने पाले में लाने पर मुहर लगा सकता है। दिल्ली की भाजपा इस बात को सुनिश्चित करना चाहती है कि आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे कांग्रेस के सामने कोई बाधा न आए। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सदानंद शेत तनावडे का इस मामल में कहना है कि उन्हें केंद्रीय नेतृत्व से इस विषय में कोई आधिकारिक दिशा-निर्देश नहीं मिला है।

अगर गोवा में सियासी उठा-पटक मचती है तो ऐसा पहली बार नहीं होगा। इससे पहले भी साल 2019 में तत्कालीन विपक्षी नेता चंद्रकांत 'बाबू' कावलेकर कांग्रेस के नौ विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गये थे। यही कारण था कि 2022 में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने अपने विधायकों को चर्च और मंदिर दोनों के सामने शपथ दिलाई थी कि वे पार्टी को नहीं छोड़ेंगे और चुने जाने के बाद भाजपा में नहीं जाएंगे।

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