मध्यप्रदेश : 'दिल बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है'... भाजपा-कांग्रेस इतनी खुश क्यों ?



भोपाल। मध्य प्रदेश में हुए नगरीय निकाय के चुनाव के नतीजों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों 'दिल बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है'... समझकर खुशियां मना रहे हैं और अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। पिछले चुनाव में सभी 11 नगर निगम भाजपा के कब्जे में थे, तो वहीं इस बार के नतीजों में उसके हिस्से में सात नगर निगम हे आए हैं, वहीं तीन स्थानों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। इसके अलावा एक स्थान पर आम आदमी पार्टी का महापौर निर्वाचित हुआ है।

पहले चरण के चुनावी नतीजों की दोनों ही राजनीतिक दल अपने-अपने तरह से व्याख्या करने में लगे हैं। भाजपा सात नगर निगम के साथ नगर पालिका और नगर परिषद में अपनी बड़ी जीत का दावा कर रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस तीन महापौर की जीत को बड़ी सफलता करार दे रही है और कह रही है कि वर्ष 2014 में तो हम शून्य पर थे अब तो कम से कम तीन पर आ गए हैं। दोनों ही दलों ने अपने-अपने दफ्तरों में जीत का जश्न भी मनाया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, वर्ष 2003 के बाद से, जब से मध्यप्रदेश में हमने सरकार बनाई है, निकाय चुनाव में ऐसी शानदार जीत कभी नहीं मिली। चुनाव हम पहले भी जीतते थे, लेकिन उसमें जीत का अनुपात 55-45 का ही रहता था, लेकिन इस बार हमने 80 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल की है। यह जीत ऐतिहासिक है। जिन 86 नगर पंचायतों के परिणाम घोषित हुए हैं, उनमें से 64 में हमने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया है। 36 नगर पालिकाओं में से 27 में हमें पूर्ण बहुमत मिला है और पांच में निर्दलियों के साथ मिलकर नगर सरकार बनाने जा रहे हैं।

वहीं कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ ने कांग्रेस के तीन महापौर जीतने पर इसे बड़ी सफलता बताते हुए कहा, वर्ष 2004 में दो महापौर थे, वर्ष 2009 में तीन और वर्ष 2014 में शून्य पर थे। यह सबको पता है, इस बार तीन सीटें जीती है, वास्तव में भाजपा से तीन सीटें छीनी हैं, फिर भाजपा किस बात का जश्न मना रही है।

दोनों दलों द्वारा अपनी-अपनी जीत बताने पर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि, जो नतीजे आए हैं वह दोनों दलों को थोड़ी-थोड़ी खुशी तो देने वाले हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे अपने अपने तरह से नतीजों को परिभाषित करते हैं। कुल संख्या देखी जाए तो भाजपा को खुश होने का कारण है, मगर वर्ष 2014 के नतीजों से तुलना करें तो कांग्रेस को खुश होने का असर है। कुल मिलाकर दोनों दल अपने अपने तरह से नतीजों को ले रहे हैं और खुशी मना रहे हैं।

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