दिल्ली हाईकोर्ट का ट्रेडमार्क चोरी के आरोपी मसाला व्यापारी को आदेश, प्रधानमंत्री राहतकोष में 25 लाख रुपये बतौर दंड जमा करें



दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने धोखे और ठगी के साथ दूसरे के ट्रेडमार्क की आड़ में व्यापार करने वाले एक मसाला कारोबारी को सजा के तौर पर प्रधानमंत्री राहतकोष में 25 लाख रुपये जमा करवाने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने मसाला निर्माता द्वारा ट्रेडमार्क कानून के उल्लंघन का गंभीर दोषी मानते हुए अलग से 30 लाख रुपये की पेनाल्टी भी लगाई।

इस मामले में आदेश देते हुए हाईकोर्ट की जज प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि चूंकि व्यापारी ने आदेश के बावजूद आरोपी वादी कंपनी के ब्रांड के नाम पर अपने उत्पादों का निर्माण और बिक्री कर रहा था। इसलिए उसे निर्देश दिया जाता है कि वो सबसे पहले अदालत के पास 20 लाख रुपये की राशि जमा करवाए।

इसके साथ ही जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि वह इस अपराध के लिए आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा देने के पक्ष में हैं लेकिन उसने अपने अपराध के लिए पश्चाताप करने की बात और अदालत से बिना शर्त माफी मांगी है, इसलिए आरोपी केवल आर्थिक दंड लगाया जा रहा है।

कोर्ट ने अपने 2 अगस्त के फैसले में कहा, "आरोपी मसाला व्यापारी व्यापार लागत के रूप में 30 लाख रुपये की राशि का भुगतान करना होगा, जो कि पीड़ित पक्ष के द्वारा कानूनी शुल्क और अवमानना ​​आवेदनों को आगे बढ़ाने के साथ-साथ अन्य फीस के तौर पर देय होगा।  भुगतान करने के लिए किया है।"

साथ ही अदालत ने यह भी कहा, "आरोपी मसाला व्यापार को केवल इतने भर से छूट नहीं मिलेगा, उसे 15 नवंबर 2022 को या उससे पहले प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में 25 लाख रुपये की धनराशि जमा करानी होगी।

अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि पीड़ित पक्ष को इस केस में पहले ही बहुत नुकसान पहुंच चुका है क्योंकि स्थानीय आयुक्त द्वारा जब्त किए गये 4 करोड़ रुपये के मसालों को गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब और निजामुद्दीन दरगाह को दान किया जा चुका है।

हालांकि कोर्ट ने आरोपी को पिछले सितंबर में ही आदेश दिया था कि वो पीड़ित पक्ष के ट्रेडमार्क वाले उत्पादों का निर्माण रोक दे लेकिन उसके बाद भी आरोपी ने गैर-कानूनी कार्य करना जारी रखा और इस संबंध में एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बाकायदा विज्ञापन भी दिया।

कोर्ट ने कहा कि अब आरोपी ने गलती स्वीकार करते हुए पीड़ित पक्ष से बिना शर्त माफी मांग ली है और अदालत से कहा है कि अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान का नाम और ट्रेडमार्क भी बदल लेगा।

आरोपी के इस पश्चाताप को देखते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपी भविष्य में अपने मसालों की बिक्री के लिए पीड़ित पक्ष के चिह्न/नाम का उपयोग नहीं करेगा और साथ में मसालों की पैकेजिंग का रंग भी बदलेगा।

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