उत्तरप्रदेश के दो फरार मंत्रियों पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार



लखनऊ। योगी आदित्यनाथ की सरकार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान के कानपुर की जिला अदालत द्वारा एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद कथित तौर पर फरार होने और उसके अगले दिन योगी सरकार के एक अन्य मंत्री और निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद को गोरखपुर कोर्ट द्वारा गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद विपक्ष हमलावर है।

विपक्ष आरोप लगा है कि अपराध के प्रति कथित तौर से जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मंत्रीमंडल स्वयं दागदारों से भरा पड़ा है। योगी सरकार के दोनों मंत्रियों पर कोर्ट के कसे शिकंजे का कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक गोरखपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जगन्नाथ द्वारा सात साल पहले दर्ज किये गये एक आपराधिक मामले में कई बार समन जारी होने के बाद मंत्री संजय निषाद कोर्ट के सामने पेश होने से बच रहे थे। कई बार की चेतावनी के बाग आखिरकार गोरखपुर की कोर्ट ने मंत्री संजय निषाद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है।

बताया जा रहा है कि संजय निषाद पर आरोप है कि उन्होंने साल 2015 में आरक्षण की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन किया था। उस समय रेलवे की पटरी पर बैठकर धरना दे रहे निषाद समर्थकों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई थी। पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। जिसके बाद पुलिस ने निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद सहित कुल 36 लोगों पर विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया था।

मामले में अब कोर्ट द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद गिरफ्तारी के भय से भूमिगत हो गये मंत्री निषाद के विषय में यूपी भाजपा के नेता किसी भी तरह की टिप्पणी करने से बच रहे हैं। भाजपा नेताओं का यहां तक कहना है कि उन्हें मालूम ही नहीं की मंत्री संजय निषाद के खिलाफ गोरखपुर कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी किया है।

राज्य भाजपा के एक पदाधिकारी ने रविवार को कहा, "पार्टी के सामने अभी तक इस तरह की कोई रिपोर्ट नहीं आयी है। चूंकि संजय निषाद योगी सरकार में मंत्री हैं, इस लिहाज से वो कोर्ट का पूरा सम्मान करेंगे और अदालत के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष रखेंगे।"

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