'भाजपा अब अटल-आडवाणी वाली पार्टी नहीं रही' : ललन सिंह



पटना। महागठबंधन के साथ बिहार में नई सरकार बनाने के बाद भाजपा के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर बने हुए हैं। भाजपा की तरफ से कई बातों का खुलासा किया जा रहा है। सुशील मोदी ने नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके बाद आज जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भाजपा पर गठबंधन धर्म नहीं निभाने का आरोप लगाया है।

  • अरुणाचल में जदयू के विधायक तोड़े
 
ललन सिंह ने कहा कि अब भाजपा अटल-आडवाणी वाली पार्टी नहीं रही, जो 1996 से सभी दलों को साथ लेकर चलती थी। मौजूदा भाजपा ऐसी है जो अरुणाचल में जदयू के विधायकों को तोड़ लेती है। वहां 7 में से 6 जदयू के विधायक तोड़े गए। क्या यही गठबंधन धर्म था?
  • लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सब भाजपा में शामिल हो गए
उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनना था। उन्होंने कोई साजिश नहीं की और सब कुछ ठीक रहा। वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव के समय जिस व्यक्ति आरसीपी को नीतीश कुमार ने जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया उस व्यक्ति को ही भाजपा ने साजिश के तहत अपने साथ जोड़ लिया। जिन लोगों ने लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जदयू को नुकसान पहुंचाया, वही सब भाजपा में शामिल हो गए।
  • नौकरी नहीं 'अग्निवीर' ले आए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए ललन सिंहने कहा कि देश में शासन करने का भाजपा को जनमत दिया, लेकिन पूरे देश में भाजपा आज तनाव पैदा कर रही है। तनाव पैदा करके शासन नहीं चलता। देश में महंगाई बढ़ रही है। 2 करोड़ लोगों को रोजगार का वादा किया लेकिन किसी को रोजगार नहीं मिला। इसी तरह 3 लाख लोगों को सेना भर्ती में सारी प्रक्रिया पास करने के बाद आज तक नौकरी नहीं मिली। उल्टे 4 साल का अग्निवीर ले आए। भाजपा के नेता कहते हैं अग्निवीर को भाजपा कार्यालय में चौकीदार बनाएंगे। 

ललन सिंह ने कहा कि क्या यही भाजपा का शासन चलाने का तरीका है? एनडीए गठबंधन में जदयू को छोटा भाई बताने के भाजपा के सवाल पर कहा कि 2005 में जदयू को भाजपा से कहीं अधिक सीट थी, लेकिन जदयू के किसी नेता ने खुद के दल को बड़ा भाई नहीं बताया।
  • मोदी की 42 सभाओं के बाद भाजपा को बिहार में सिर्फ 53 सीट मिली  
2010 विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को 118 सीटें आई। जदयू अकेले सरकार बना सकती थी। लेकिन नीतीश कुमार ने एनडीए के गठबंधन धर्म का पालन किया। 2017 से 2020 तक फिर से भाजपा संग हमारी सरकार बनी, हमारे ही दल के सदस्य ज्यादा थे। हमने कभी खुद को बड़ा भाई नहीं कहा। 2015 के विधानसभा चुनाव में मोदी की 42 जनसभाओं के बाद भाजपा को बिहार में सिर्फ 53 सीट आई।चलेगा

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