मुन्नी बाई उईके के बुलंद हौसलों ने तीसरी बार में जीता जिला पंचायत का चुनाव


बरगी नगर l आदिवासियों का नेतृत्व करने वाली और आदिवासी समाज में अपनी साफ-सुथरी और स्वच्छ छवि रखने वाली मुन्नी बाई उईके बिना किसी राजनीतिक पृष्ठ भूमि और बिना किसी राजनैतिक समर्थन के छोटी सी ग्राम पंचायत हरदौली  बरगी नगर में निवास करने वाली मुन्नी बाई  ने जिला पंचायत जैसे बड़े चुनाव को जीत कर यह बता दिया है कि आदमी की मेहनत और सच्ची लगन के आगे वह सब कुछ प्राप्त हो सकता है जो वह चाहता है कुछ इसी तर्ज पर जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 1 बरगी विधानसभा से चुनाव लड़ने वाली मुन्नी बाई उईके ने अपने पूरे जीवन काल में पहले दो बार और चुनाव लड़ा और दोनों ही बार में दूसरे स्थान पर आती रहीं। पर इस बार बरगी क्षेत्र की जनता ने मन बना लिया था कि मुन्नी बाई को ही जिला पंचायत सदस्य के रूप में चुनना है और हुआ भी यही। मुन्नीबाई भारी मतों से विजय होकर जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 1 की जिला सदस्य बन गई हैं। 

इस संबंध में मुन्नी बाई ने बताया कि उन्हें लगभग 11000 के आस-पास वोट प्राप्त हुए हैं। जिला पंचायत क्षेत्र बहुत बड़ा होता है। लगभग 27 ग्राम पंचायतों को मिलाकर एक क्षेत्र बनाया गया है जिसमें लगभग 3000 वोटों से उन्हें विजय प्राप्त हुई है। 

गौरतलब यह है कि बरगी परिक्षेत्र के कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मांगीलाल मरावी जो एक लंबे अरसे से कांग्रेस पार्टी की सेवा करते हुए विधायक तक का चुनाव लड़ चुके हैं। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मांगीलाल मरावी की बहू सरोज मरावी को मुन्नी बाई  ने चुनाव में मात देकर यह बता दिया है कि कोई भी प्रत्याशी किसी भी पार्टी का मोहताज नहीं है। अगर वह ईमानदारी मेहनत और लगन से काम करें। 

मुन्नी बाई का कहना है कि अभी जिला पंचायत में समितियां बनना बाकी हैं और वे यह चाहती हैं कि उन्हें वन समिति महिला एवं बाल विकास समिति तथा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी यानी पीएचई विभाग कि समिति में स्थान मिले ताकि वे अपने ग्रामीण क्षेत्र की जनता की मदद कर सकें और यहां आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन की लड़ाई बरगी बांध होने के बाद पेयजल की समस्या तथा अन्य समस्याओं पर प्रयास कर उन्हें हल करा सकें। 

  • कभी नहीं लड़ा सरपंच या जनपद का चुनाव

मुन्नी बाई का कहना है कि उनका सपना था जिला पंचायत का सदस्य बनना उन्होंने आज तक सरपंच या जनपद का चुनाव नहीं लड़ा। 10 साल बाद ही सही पर उनका यह सपना पूरा हो रहा है। लगभग 40 वर्ष की मुन्नी बाई अब अपना जीवन पूरा ग्रामीण क्षेत्र की जनता को समर्पित करना चाहती हैं। 

मुन्नी बाई का कहना है कि उन्होंने स्कूल का मुंह कभी नहीं देखा पर ग्राम विकास के लिए उनका अशिक्षित होना कभी भी आड़े नहीं आएगा अपने क्षेत्र की समस्याओं के लिए अक्सर आंदोलन में तेजतर्रार और प्रखर वक्ता के रूप में जाना जाता है। जनता का यही मानना है कि ऐसे ही नेतृत्व से ही क्षेत्र की जनता को हक मिलेगा

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