भारत में ‘सूक्ष्म जीवाणु रोधक’ क्षमता लगातार बढ़ रही : आईसीएमआर
नई दिल्ली। ऐसी आशंका है कि भारत में बहुत सारे मरीजों पर अब ‘कारबापेनेम’ दवा का असर नहीं होगा, क्योंकि उनके शरीर में इस दवा के प्रति सूक्ष्म जीवाणु रोधक (एंटीमाइक्रोबियल) क्षमता विकसित हो गई है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है।
‘कारबापेनेम' एक शक्तिशाली एंटीबायोटिक दवा है, जिसे मुख्य रूप से आईसीयू में भर्ती निमोनिया और सेप्टिसीमिया के मरीजों को दिया जाता है।
इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाली आईसीएमआर की वैज्ञानिक डॉ. कामिनी वालिया ने कहा कि एक जनवरी से 31 दिसंबर 2021 के बीच आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चला कि दवा रोधी ‘पैथोजेन’ (रोगाणु) की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसकी वजह से उपलब्ध दवाओं की मदद से कुछ संक्रमण का इलाज करना कठिन हो गया है।
डॉ. वालिया ने कहा, ‘यदि तत्काल उचित कदम नहीं उठाए गए तो सूक्ष्म जीवाणु रोधक क्षमता का विकसित होना निकट भविष्य में एक महामारी का रूप ले सकता है।’
आईसीएमआर की यह रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई। देश में सूक्ष्म जीवाणु रोधक क्षमता (एएमआर) पर आईसीएमआर द्वारा जारी यह पांचवीं विस्तृत रिपोर्ट है। इस साल की रिपोर्ट में अस्पताल से प्राप्त आंकड़ों को भी शामिल किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘ई कोलाई’ बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण के उपचार के लिए दी जाने वाली दवा इमिपेनेम के प्रति एएमआर 2016 में 14 प्रतिशत थी, जो 2021 में बढ़कर 36 प्रतिशत हो गई है।
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