भारत के आतिथ्य-सत्कार और विविधता की प्रशंसक थीं महारानी एलिजाबेथ

ब्रिटेन के विंडसर कैसल में 27 अक्तूबर 2009 को भारत की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के साथ महारानी एलिजाबेथ द्वितीय।


लंदन। औपनिवेशिक शासन से भारत की आजादी के बाद 1952 में ब्रिटिश सिंहासन पर काबिज होने वाली पहली ब्रितानी शासक महारानी एलिजाबेथ द्वितीय भारत की सामाजिक एवं सांस्कृतिक ‘समृद्धि एवं विविधता' की प्रशंसक थीं। महारानी का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वह 96 वर्ष की थीं। महारानी ने अपने 70 साल लंबे शासनकाल में तीन बार- 1961, 1983 और 1997 में भारत की यात्रा की थी। उन्होंने अपने एक संबोधन में कहा था, 'भारतीयों की गर्मजोशी और आतिथ्य-सत्कार के अलावा भारत की समृद्धि और विविधता हम सभी के लिए एक प्रेरणा रही है।'

1961 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके पति प्रिंस फिलिप ने मुंबई, चेन्नई तथा कोलकाता का दौरा किया था। उन्होंने आगरा पहुंचकर ताज महल का दीदार करने के साथ ही नयी दिल्ली में राष्ट्रपिता के स्मारक राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की थी। एलिजाबेथ और फिलिप तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निमंत्रण पर भारत की गणतंत्र दिवस परेड में सम्मानित अतिथि थे। महारानी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों लोगों की भीड़ को संबोधित भी किया था। महारानी ने 1983 में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में हिस्सा लेने के लिए भारत की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने मदर टेरेसा को ‘ऑर्डर ऑफ द मेरिट' की मानद उपाधि से नवाजा था।

भारत की उनकी अंतिम यात्रा देश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हुई थी। इस दौरान उन्होंने पहली बार औपनिवेशिक इतिहास के ‘कठोर दौर' का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, 'यह कोई रहस्य नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ कठोर घटनाएं हुई हैं। जलियांवाला बाग एक दुखद उदाहरण है।' महारानी और उनके पति ने बाद में, 1919 में नरसंहार के गवाह बने अमृतसर के जलियांवाला बाग का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की थी। महारानी ने तीन पूर्व भारतीय राष्ट्रपतियों- 1963 में डॉ राधाकृष्णन, 1990 में आर वेंकटरमण और 2009 में प्रतिभा पाटिल की मेजबानी भी की थी। महारानी ने बकिंघम पैलेस में राष्ट्रपति पाटिल के लिए आयोजित राजकीय भोज के दौरान कहा था, ‘ब्रिटेन और भारत का साझा पुराना इतिहास है, जो आज इस नई सदी के लिए एक नयी साझेदारी के निर्माण में ताकत का मजबूत स्रोत है।'

  • ब्रिटेन में ‘ऑपरेशन लंदन ब्रिज' लागू 

महारानी के निधन के बाद ब्रिटेन में ‘ऑपरेशन लंदन ब्रिज' लागू हो गया। यह एक तरह का ‘प्रोटोकॉल' है, जिसे बकिंघम पैलेस द्वारा बृहस्पतिवार को 96 वर्षीय महारानी के निधन की घोषणा करने के बाद लागू किया गया। इसके साथ ही ‘ऑपरेशन स्प्रिंग टाइड' भी लागू हुआ, जिसके तहत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बेटे एवं उत्तराधिकारी प्रिंस चार्ल्स 73 साल की उम्र में ‘सम्राट चार्ल्स तृतीय' के रूप में देश की राजगद्दी पर विराजमान हुए। महारानी के स्कॉटलैंड स्थित बाल्मोरल कैसल में अंतिम सांस लेते ही ‘ऑपरेशन यूनीकॉर्न' लागू हो गया, जिसके तहत उनकी पार्थिव देह को ट्रेन से लंदन लाया गया।

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