वित्तीय धोखाधड़ी से बचने साइबर सुरक्षा एजेंसी ने किया सतर्क
नई दिल्ली। देश के साइबर क्षेत्र में नया मोबाइल बैंकिंग वायरस फैल रहा है। ग्राहकों को निशाना बना रहा यह मोबाइल बैंकिग ट्रोजन वायरस (सोवा) एक रैंसमवेयर है, जो एंड्रॉयड फोन की फाइल को नुकसान पहुंचा सकता है और अंतत: संबंधित व्यक्ति वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार बन सकता है। एक बार मोबाइल में आने के बाद इसे हटाना भी काफी मुश्किल है। देश की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने अपने ताजा परामर्श में यह कहा है।
भारतीय साइबर क्षेत्र में इस वायरस का सबसे पहले जुलाई में पता चला था। तब से इसका पांचवां संस्करण आ गया है। सीईआरटी-इन (इंडियन कंप्यूटर एमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम) ने कहा, ‘संस्थान को यह बताया गया है कि भारतीय बैंक ग्राहकों को नये सोवा एंड्रॉयड ट्रोजन के जरिये निशाना बनाया जा रहा है। इसमें मोबाइल बैंकिंग को लक्ष्य किया जा रहा है। इस मालवेयर का पहला संस्करण छिपे तरीके से सितंबर 2021 में आया था। यह लॉगिंग के माध्यम से नाम और पासवर्ड, कुकीज चोरी करने और ऐप को प्रभावित करने में सक्षम है।’
परामर्श में कहा कि यह मालवेयर यूजर्स को धोखा देने के लिये नकली एंड्रॉयड एप्लिकेशन के साथ छिपता है। उसके बाद यह क्रोम, अमेजन, एनएफटी (क्रिप्टो मुद्रा से जुड़े टोकन) जैसे लोकप्रिय वैध ऐप के ‘लोगो’ के साथ दिखाई देता है। यह इस रूप से होता है जिससे लोगों को इन ऐप को इंस्टॉल करने में पता ही नहीं चलता।
वायरस के खतरनाक होने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह कीस्ट्रोक्स को एकत्रित कर सकता है, स्क्रीनशॉट ले सकता है और वीडियो रिकॉर्ड कर सकता है। यह ऐप को भी प्रभावित कर सकता है और एंड्रॉयड यूजर्स को धोखा देने के लिए 200 से अधिक बैंकिंग और भुगतान एप्लिकेशन की ‘नकल’ कर सकता है।
बचाव के उपाय :
एजेंसी ने इससे बचाव के लिये कुछ सुझाव दिये हैं। इसके तहत यूजर्स को ऐप आधिकारिक ऐप स्टोर से ही डाउनलोड करने चाहिए। इसमें डिवाइस विनिर्माता या ‘ऑपरेटिंग सिस्टम’ के ऐप स्टोर शामिल हैं। उन्हें हमेशा ऐप के बारे में समीक्षा करनी चाहिए। यूजर्स के अनुभव, टिप्पणियों पर भी गौर करने चाहिए। साथ ही नियमित तौर पर एंड्रॉयड अपडेट करते रहना चाहिए और ई-मेल या एसएमएस के माध्यम से प्राप्त केवल भरोसेमंद ‘लिंक' का ही उपयोग करना चाहिए।
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