सर्वेक्षण : देश में कक्षा तीन के आधे बच्चे ही गणित और भाषा ज्ञान में कुशल

 


नई दिल्ली। कक्षा तीन में पढ़ने वाले केवल 54 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी में निपुण है, 46 प्रतिशत बच्चे हिंदी में और 52 प्रतिशत बच्चे गणित में कुशल हैं। यह चौंकाने वाले नतीजे राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और केंद्रीय स्कूल शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित फाउंडेशन लिटरेसी सर्वे (एफएलएस) से मिले हैं। केंद्र सरकार का लक्ष्य 2026-27 तक कक्षा तीन में पढ़ने वाले बच्चों को भाषा और गणित में बुनियादी तौर पर मजबूत बनाने का है।

शिक्षा मंत्रालय ने इसे नेशनल इनीशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमैरेसी (निपुण) भारत 2021 नाम दिया है। इसीलिए इस सर्वेक्षण के जरिए सरकार बच्चों की बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान जांचना चाहती थी। मार्च 2022 के दौरान देश के सभी राज्यों में आयोजित के सर्वेक्षण में 10,000 स्कूलों के कक्षा 3 के 86000 छात्रों को औचक तरह से चयनित किया गया था।

सर्वेक्षण में पाया गया कि उत्तराखंड के 77 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी में बेहतर पाए गए तो पश्चिम बंगाल के 71, बिहार के 74, केरल के 62 और दिल्ली के 66 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी में निपुण थे जबकि राष्ट्रीय औसत 54 प्रतिशत था। इसी तरह हिंदी में उत्तर प्रदेश और बिहार के केवल 45 प्रतिशत और दिल्ली के 50 प्रतिशत छात्र निपुण पाए गए जबकि पश्चिम बंगाल के 75 प्रतिशत छात्र हिंदी अच्छी तरह से पढ़ व बोल लेते हैं। इस विषय में राष्ट्रीय औसत 46 प्रतिशत है।

गणित में भी पश्चिम बंगाल के बच्चे सबसे बेहतर पाए गए हैं। राज्य के 70 प्रतिशत बच्चे संख्या पहचानने के अलावा जोड़, घटाव, गुणा, भाग में भी निपुण थे जबकि तमिलनाडु के 56 केरल के 55 दिल्ली के 45 और उत्तराखंड के 59 प्रतिशत छात्र ही गणित में निपुण पाए गए हैं। यहां राष्ट्रीय औसत 52 प्रतिशत था लेकिन बिहार के 66 और उत्तर प्रदेश के 62 प्रतिशत छात्र औसत से ऊपर रहे।
  • महाराष्ट्र का प्रदर्शन
महाराष्ट्र के 578 स्कूलों के 191 शिक्षकों और 5308 छात्रों ने इस सर्वेक्षण में हिस्सा लिया। राज्य के 56 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी में निपुण पाए गए 37 प्रतिशत बच्चे हिंदी में 57 प्रतिशत बच्चे मराठी में और 52 प्रतिशत बच्चों ने गणित के सवाल हल करने में बेहतर प्रदर्शन किया।
  • गोवा का हाल
गोवा के 185 स्कूलों के 410 शिक्षकों और 1984 कक्षा 3 के छात्रों ने इस सर्वेक्षण में भाग लिया और 53 प्रतिशत अंग्रेजी में, 40 प्रतिशत मराठी में और 35 प्रतिशत गणित के सवालों में बेहतर पाए गये।
  • दुनिया का पहला सर्वेक्षण
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दावा है कि अपनी तरह का यह दुनिया का पहला सर्वेक्षण था, जो अपने छात्रों के कौशल को परख कर उन्हें तराशने का प्रयास कर रहा है। इसे ग्लोबल प्रोफिशिएंसी फ्रेमवर्क कहा जा रहा है। इसमें छात्रों से मौखिक और लिखित दोनों तरह के सवाल किए गए। यह सर्वे छात्रों में 20 भाषाओं का ज्ञान परखने के लिए किया गया था।

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